एसएसवीएएसएस बिहार के प्रमुख की सोनारसंसार डॉट इन से खास बातचीत
कपिल देव ठाकुर
रांची: आभूषण व स्वर्णकार समाज के लिए 17 अप्रैल 2022 की तिथि रांची समेत पूरे झारखंड के लिए इतिहास में दर्ज होने जा रही. कारण? इस दिन राज्य की राजधानी में एक ऐसी तीन दिवसीय जेम्स व ज्वेलरी प्रदर्शनी का शुभारंभ हो जाने रहा जिससे आभूषण कारोबार के साथ साथ स्वर्णकार समाज को भी आगे बढऩे की अनेक विकल्प मिलने की संभावना है. यह प्रदर्शनी पटना निवासी आभूषणकारोबारी व स्वर्णकार समाज के विकास में जुटे रहनेवाले अरूण कुमार वर्मा की अगुवाई में आयोजित हो रही है. अरूण वर्मा की से लगाई जानेवाली यह 12 वीं प्रदर्शनी है. अरूण वर्मा अपनी टीम के साथ इस प्रदर्शनी के प्रचार-प्रसार के लिए इन दिनों झारखंड के दौरे पर हैं. रांची में सोनारसंसारडॉटइन के सलाहकार संपादक कपिलदेव ठाकुर की पहल पर प्रबंध संपादक धर्मेंद्र कुमार की अरूण कुमार वर्मा से प्रदर्शनी के संबंध में लेकर विस्तार से बात हुई. प्रस्तुत है इस लंबे इंटरव्यू का संपादित अंश:
सोनार संसार: अभी तक आप पटना में ही इस तरह की प्रदर्शनी लगाते रहे हैं. झारखंड की ओर कदम बढऩे के पीछे क्या है?
अरूण वर्मा : बेशक झारखंड 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर अलग राज्य बना लेकिन अभी भी इसके अंदर बिहार बसता है. यहां भी स्वर्णकार समाज के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. आभूषण कारोबार का दिनों दिन विस्तार हो रहा. लिहाजा हमने प्रदर्शनी को रांची में लगाने के सुझाव पर अमल करने का फैसला किया.
सोनार संसार : आप तो विरासत में मिले अच्छे-खासे आभूषण कारोबार का संचालन कर रहे थे फिर इस प्रदर्शनी की ओर कैसे हुआ रुख?
अरूण वर्मा : समाज व कारोबार के क्षेत्र में हमेशा कुछ नया करने की तमन्ना रही है. इसीलिए करीब दस साल पहले सोचा कि क्यों न आभूषण कारोबार की अद्यतन स्थिति से एक दूसरे को अवगत कराने के लिए एक मंच पर एकत्र करने का प्रयास किया. इस प्रदर्शनी के आयोजन का खाका इसी विचार सूत्र से बना. वह वर्ष था 2012 जब हमने पटना में पहली बार जेम्स व ज्वेलरी प्रदर्शनी लगाई
सोनार संसार : कैसा रहा एक दशक का सफर
अरूण वर्मा : मत पूछिए. शुरुआत में तो लगा कि अच्छा भला चलता काम छोड़कर किस रास्ते पर बढ़ गया? चुनौतियां ही चुनौतियां थीं. सबसे बड़ी बात यह कि लोगों धैर्य के साथ समझाना पड़ता था कि पटना में प्रदर्शनी क्यों लगाई जा रही और इससे समाज व कारोबार को क्या फायदा होगा? संतोष है कि कुछ ही वर्षो में हमारे प्रयास को समाज ने अंगीकार कर लिया और यह प्रदर्शनी आज एक ब्रांड का रूप ले चुकी है
सोनार संसार : इस प्रदर्शनी का आयोजन किस बैनर तले करते हैं और इसके पीछे क्या उद्देश्य है?
अरूण वर्मा : इस प्रदर्शनी का आयोजन स्वर्णकार समाज विकास एवं शोध संस्थान (एसएसवीएएसएस) जैसे सामाजिक संगठन के बैनर तले किया जाता है. इसके कई फायदे हैं. संगठन स्वर्णकार समाज के विकास के लिए बना है. प्रदर्शनी से संगठन को ऊर्जा मिलती है और कार्यों को आगे बढ़ाने की शक्ति का संचार होता है.
सोनार संसार : एक शब्द में पूछा जाए तो प्रदर्शनी से क्या फायदा होता है?
अरूण वर्मा : ज्वेलरी प्रदर्शनी में एक ही छत के नीचे देश की सैकड़ों ब्रांडेड कंपनियां आती हैं. रांची में भी आएंगी. इससे आभूषण कारोबारियों को आगे बढऩे का अवसर प्राप्त होता है. जरूरतमंद कारीगरों की आर्थिक मदद का रास्ता भी इस प्रदर्शनी के माध्यम से खुलता है. साथ ही लोगों को आभूषण क्षेत्र के बारे में नवीनतम जानकारी मिलती है. एक से बढ़कर एक उत्पादों को भी देखने-समझने व खरीदने का मौका मिलता है.
सोनार संसार : झारखंड सरकार के लिए इस प्रदर्शनी का क्या मतलब हो सकता है?
अरूण बर्मा : देखिए, झारखंड की पहचान ही उसकी अकूत सनिज संपदा से है. राज्य में स्वर्ण खदाने भी हैं. राज्य में स्वर्ण व्यवसाय का अलग महत्व रहा है. निश्चित रूप से झारखंड सरकार इसका विकास करना चाहेगी तो राज्य का भी विकास होगा. सरकार को संभावनाओं को तलाश कर इसकी बेहतरी का प्रयास करना चाहिए,
सोनार संसार : प्रदर्शनी का स्वरूप कैसा रहता है?
अरूण वर्मा : हम प्रदर्शनी को मोटे तौर पर तीन भागों में बांटते हैं. पहला बिजनेस टू बिजनेस (बी 2 बी), दूसरा बिजनेस टू कंज्यूमर (बी 2 सी) तथा तीसरा बिजनेस टू मशीन (बी 2 एम). प्रदर्शनी से कारीगरों को बी 2 एम तकनीक से प्रशिक्षित किया जा सकता है. तब झारखंड के कारीगर भी कम लागत में नवीनतम तकनीक से अच्छे से अच्छे जेवर तैयार कर सकेंगे. तब झारखंड के आभूषम कारोबारियों को भी कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, बनारस जैसे शहरों से आनेवाले गहनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
सोनार संसार : झारखंड सरकार से आपकी क्या अपेक्षाएं हैं?
अरूण वर्मा : आप देखिएगा कि कितनी भव्य प्रदर्शनी रांची में लग रही है. झारखंड सरकार को आभूषण कारोबार या स्वर्णकार समाज के लोगों को बढ़ावा देने का काम करना चाहिए. स्वर्णकारों को स्वर्ण आभूषण बनाने वाले यंत्र सरकारी अनुदान पर उपलब्ध कराए जाने चाहिए. इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि एक निश्चित समय सीमा के भीतर सारी औपचारिकताओं को पूरा कर दिया जाए.
सोनार संसार : आपकी संस्था स्वर्णकार समाज विकास एवं शोध संस्थान का योजना?
अरुण वर्मा : यह बताने में खुशी हो रही है कि हमारे संगठन के प्रयास से स्वर्ण कारीगरी को शिल्पकारी का दर्जा मिला. अब स्वर्ण व्यवसायी खासकर कारीगरों को बैंकों के माध्यम से लोन उपलब्ध करा कर स्वर्ण व्यवसायी हब बनाने का प्रयोग हम कर रहे हैं. बिहार में इसकी शुरुआत की है. झारखंड का अगला नंबर है.