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Friday, December 6, 2024
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    स्वर्णकार कारीगरों के विकास के लिए समाज के जयचंदों का शुद्धीकरण जरूरी : किरण वर्मा

    रांची : स्वर्णकार समाज के समग्र विकास के लिए पिछले तीन दशक से सक्रिय और स्वर्णकार समाज और विकास एवं शोध संस्थान (एसएसवीएएसएस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष किरण वर्मा ने दो टूक शब्दों में कहा है कि स्वर्णकार समाज के विकास एवं एकजुटता के लिए सच्चे मन और पवित्र भाव से काम करना होगा निजी स्वार्थ को साधने के लिए गलतफहमी फैलाकर किसी का भला नहीं किया जा सकता. बल्कि ऐसा करने वालों को समाज जयचंद मानने से गुरेज नहीं करेगा.

    स्वर्णकार समाज की दिशा और दशा को लेकर सोनार संसार डॉट इन के साथ एक इंटरव्यू में किरण वर्मा ने बहुत ही बेबाकी से वर्तमान समय में स्वर्णकार समाज की स्थिति का वर्णन किया.

    किरण वर्मा ने कहा कि ऐसा देखने में आ रहा कि स्वर्णकार का मतलब सिर्फ आभूषण बनाने वाले कारीगरों के रूप में निरूपित किया जा रहा, जो सरासर गलत है. स्वर्णकार समाज को विरासत में आभूषण कारीगरी जरूर मिली है लेकिन आज के दौर में जीवन के हर क्षेत्र में स्वर्णकार समाज अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है. बात व्यवसाय की हो या नौकरी की या सियासत-समाजसेवा की. स्वर्णकार समाज की उपस्थिति हर जगह दिखेगी. हां, यह बात सही है कि आबादी की तुलना में जितना प्रतिनिधित्व होना चाहिए वैसा नहीं है, इसे बढ़ाने के लिए ही हमारी सारी कवायद हो रही है.

    यह पूछे जाने पर कि स्वर्णकार समाज के जो आभूषण कारीगर हैं उनकी दयनीय स्थिति को कैसे दुरूस्त किया जा सकता है, किरण वर्मा ने कहा कि स्वर्णकार समाज के जो लोग आभूषण दुकानों का संचालन करते हैं या इसके निर्माण कार्य में सक्रिय हैं उन्हें अपने समाज के कारीगरों की भलाई के लिए सोचना व करना होगा. सबसे पहले कारीगरों को दक्ष बनाने का ब्लू प्रिंट बनाकर उसपर अमल करना होगा. सरकार की लाभकारी योजनाओं के दायरे में उन्हें लाकर लाभ दिलाने की ठोस व्यवस्था करनी होगी. उनके कौशल विकास के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा पर विशेष फोकस करना होगा. आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाकर ही उनका भला किया जा सकता है.

    जब किरण वर्मा से पूछा गया कि स्वर्णकार कारीगरों के विकास की राह में वे सबसे बड़ा अवरोध किसे समझतीं हैं तो उन्होंने कहा कि हमें सबसे पहले कारीगरों के विकास को लेकर घडिय़ाली आंसू बहाने वाले समाज के जयचंदों को पहचानकर उन्हें बेनकाब करना होगा. साथ ही आधुनिक मशीनों में निर्मित गहनों और बड़े ब्रांडों की वकालत करने वालेां या उनकी प्रदर्शनी लगाने वालों से भी सावधान रहना होगा.

    किरण वर्मा ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे कि आधुनिक मशीनों से आभूषणों का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए या बड़े ब्रांडों के कारोबार को लक्ष्मण रेखा में घेरना चाहिए. आज के दौर में ऐसा हो भी नहीं सकता. लेकिन इतना जरूर हो सकता है कि मशीनीकरण या बड़े ब्रांड का महिमामंडन करने का काम पेशेवर एजेंसियों पर छोड़ देना चाहिए. समाज के उत्थान के लिए सक्रिय हर किसी को सच्चे मन से अपने समाज के कारीगरों व अन्य जरूरतमंद लोगों के हित मे काम करने के लिए प्रयास करना चाहिए.

    यह काम कैसे किया जा सकता है? किरण वर्मा ने कहा कि सबसे पहले हमें जिलास्तर पर स्वर्णकार कारीगरों की सूची बनाकर जरूरी आंकड़ा जुटाना होगा. इसके बाद सभी को केंद्र सरकार के स्तर से उपलब्ध कराए जा रहे आर्टिजन कार्ड को बनवाना होगा. इसके बाद सरकारी योजनाओं से उन्हें आर्थिक संबल प्रदान कराना होगा. उनके कौशल विकास के लिए एक जिला या दो-तीन जिलों को मिलाकर एक सेंटर डेवलप करना होगा जहां उन्हें दक्षता हासिल करने के अवसर उपलब्ध कराए जा सकें.

    यह काम मूर्त रूप कैसे लेगा? किरण वर्मा ने कहा कि स्वर्णकार समाज के विकास एवं एकजुटता की बात करने वाले तमाम संगठनों या संस्थाओं के अलावा ज्वेलर्स एसोसिएशन के स्तर से इसकी ठोस पहल करनी होगी. जो जहां है वो अपने स्तर से अगर इस दिशा में शुरूआत कर दे तो स्वर्णकार कारीगरों की दिशा और दशा बेहतर होने में देर नहीं लगेगी. सिर्फ शुरूआत करने भर की देर है. लगे हाथ किरण वर्मा ने यह भी चेता दिया कि आत्मप्रचार में तल्लीन रहने वाले विभिन्न संगठनों के नेता  या हमेशा अपना हित साधने का मौका तलाशने वाले लोग यदि मन के अंदर बैठे लोग, लाभ व ईर्ष्या को छोड़कर पवित्र भाव से संकल्प लेकर आगे नहीं बढ़ेंगे तब तक स्वर्णकार  समाज को अपने भीतर सक्रिय ऐसे स्वार्थी लोगों के स्वार्थ का दंश भोगना पड़ेगा.

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