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Wednesday, November 20, 2024
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    प्रधानमंत्री मोदी बोले-भारत के उत्कर्ष का साक्षी बनेगा राम मंदिर, राम के आदर्शों पर चल कर मानवता का होगा विकास और भटके तो…

    अयोध्या। भगवान श्री राम आधुनिकता के प्रतीक हैं और परिवर्तन के प्रतीक है और भारत को उसी राह पर चलना है। राम के आदर्शों पर चल कर हमने मानवता को माना तो विकास होगा और भटके तो विनाश होगा।

    अयोध्या में सोमवार को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जन्मभूमि मंदिर परिसर में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के युवाओं के लिए संदेश देते हुए कहा कि मंदिर तो बन गया है पर अब हमें हर दिन पराक्रम और पुरुषार्थ का प्रसाद प्रभु राम को चढ़ाना होगा तभी देश का वैभव बढ़ेगा।

    उन्होंने कहा किभारत युवा शक्ति की ऊर्जा से भरा है और इसे झुकना या बैठना नहीं है। युवाओं के सामने हजारों साल की प्रेरणा है वो चांद पर तिरंगा फहरा रही और 15 लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में यान पहुंचा रही है। आने वाला समय सफलता की है और सिद्धि का है। राम मंदिर भारत के उत्कर्ष का साक्षी बनेगा।

    प्राण प्रतिष्ठा के बाद अपने आधे घंटे के संबोधन में प्रधानमंत्री ने मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों को याद किया। उन्होंने कहा कि आज इस ऐतिहासिक समय में देश उन लोगों को याद कर रहा है जिनके चलते यह शुभ दिन देखने को मिला। उन अनगिनत कारसेवकों पर संत-महात्माओं के हम ऋणी हैं। यह उत्सव का क्षण है पर भारतीय समाज की परिपक्वता का भी दिन है। यह विजय का ही क्षण नहीं बल्कि विनय का भी है। मंदिर सिखाती है कि लक्ष्य प्रामाणिक हो तो उसे हासिल किया जा सकता है।
    दिव्य व भव्य मंदिर में रहेंगे रामलला : प्रधानमंत्री ने मंदिर निर्माण पर खुशी जताते हुए कहा कि रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे बल्कि दिव्य व भव्य मंदिर में रहेंगे। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण से देश भर में उत्साह पैदा हुआ है। शताब्दियों की प्रतीक्षा के बाद हम यहां पहुंचे हैं। आज हमें सदियों की धरोहर मिली है। गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा होता राष्ट्र इसी तरह नवइतिहास का सृजन करता है। हजारों साल बाद भी आज की तारीख की चर्चा होगी। यह भगवान राम की कृपा है जो हम सब इस पल को घटित होते देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज देश में दीपावली मनाई जा रही और गांव-गांव में कीर्तन संकीर्तन हो रहे हैं। आज शाम घर-घर राम ज्योति जलेगी।

    इस मौके पर मंदिर निर्माण में हुई देरी के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने भगवान राम से क्षमा मांगी। उन्होंने मंदिर निर्माण को लेकर हुए विरोध पर भी अपनी बात रखी।

    उन्होंनें कहा कि मैं प्रभु राम से क्षमा याचना करता हूं। हमारी तपस्या व पूजा में कुछ तो कमी रह गयी होगी जो इतने सालों तक हम ये काम नहीं कर पाए। आज यह कमी पूरी हुई तो विश्वास है कि प्रभु राम हम सबको अवश्य क्षमा करेंगे। भारत के संविधान की पहली प्रति में प्रभु राम विराजमान हैं। दशकों तक राम के अस्तित्व पर कानूनी लड़ाई चली। उन्होंने न्यायपालिका का शुक्रिया अदा कि उसने लाज रख ली।

    प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले जब भी इतिहास की गांठ सुलझाने का प्रयास किया गया तो मुश्किल हालात बने पर हमने भावुकता के साथ समझदारी से काम लिया और इसे हल किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का कहना था कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। राम मंदिर किसी आग को नहीं बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है।

    प्रधानमंत्री ने प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व किए जा रहे अपने 11 दिन के व्रत अनुष्ठान का जिक्र करते हुए कहा कि इस दौरान सागर से सरयू तक की यात्रा का सौभाग्य मिला। कल मैं धनुषकोडी, तमिलनाडु में था जहां से राम सेतु का निर्माण हुआ था। जिस घड़ी राम समुद्र पार करने निकले थे उसे कालचक्र ने बदला और अब कालचक्र फिर बदलेगा।

    उन्होंने कहा कि मुझे देश के हर कोने में रामायण सुनने का अवसर मिला। उन्होंने तमिल रामायण की पंक्तियां सुनाकर एकत्व का संदेश भी दिया।

    प्रधानमंत्री ने कहा कि ऋषियों ने कहा है कि जिसमे रम जाएं उसी में राम हैं। हर युग में लोगों ने राम को जिया है। ये राम रस निरंतर बहता रहता है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में हनुमान की भक्ति व समर्पण का जिक्र किया तो माता शबरी के राम प्रेम और निषादराज की सभी बंधनों से परे मित्रता को याद किया। संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि राम भारत का चिंतन, चेतना, प्रवाह, प्रभाव व निरंतरता हैं। राम विवाद नहीं बल्कि समाधान हैं। राम भारत का विचार व विधान हैं।

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