पटना। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कपूर्री ठाकुर की मौत के 36 साल बाद देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने का फैसला लिया गया है। 24 जनवरी को कपूर्री जयंती है और उससे एक दिन पहले केंद्र सरकार ने यह एलान किया है।
कपूर्री ठाकुर स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। वे दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था। कपूर्री ठाकुर का जन्म समस्तीपुर के पितौंझिया गांव में हुआ था। जिनके नाम पर ही उनके गांव के नाम से कपूर्री ग्राम स्टेशन का नाम पड़ा। कपूर्री ठाकुर ने अपना सामाजिक जीवन देश के स्वतंत्रता संघर्ष से शुरू किया था। वे भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 26 महीने जेल में रहे थे।
समाजवादी विचारधारा के नेता कपूर्री ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। पहली बार वे 22 दिसंबर 1970 से 02 जून 1971 तथा दूसरी बार 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 तक बिहार के सीएम पद पर रहे।
कपूर्री ठाकुर ने देश में पहली बार पिछड़ों और अति पिछड़ों को आरक्षण दिया था। 1978 में उन्होंने पिछड़ों और अति पिछड़ों के लिए अलग-अलग आरक्षण की व्यवस्था लागू की थी। उन्होंने अति पिछड़ों के लिए 12 प्रतिशत, पिछड़ों के लिए 08 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था। वहीं, गरीब सवर्णों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की थी। कपूर्री ठाकुर बिहार के मौजूदा दौर के राजनेताओं लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार के राजनीतिक गुरू माने जाते हैं।