अहमदाबाद। गुजरात हाइकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री को लेकर गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर एक आपराधिक मानहानि मामले में आम आदमी पार्टी (आप) नेताओं अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह को जारी समन पर रोक लगाने से गुुरुवार को इनकार कर दिया।
निचली अदालत द्वारा पहले जारी किए गए समन को रद्द करने के अनुरोध वाली केजरीवाल और संजय सिंह की साझा याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति जे सी दोशी ने बृहस्पतिवार को गुजरात विश्वविद्यालय और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और मामले की विस्तृत सुनवाई 3 नवंबर को करना तय किया।
आप के नेताओं को गत अप्रैल में समन जारी करने और मानहानि मामले में अहमदाबाद की मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा इस मामले की सुनवाई 14 अक्टूबर को करने को देखते हुए आप नेताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने न्यायमूर्ति दोशी से उस सुनवाई से पहले कम से कम अंतरिम राहत देने का आग्रह किया।
डिजिटल तरीके से पेश हुईं जॉन ने आग्रह किया कि मामला परसों (14 अक्टूबर) को मजिस्ट्रेट के सामने आ रहा है, इसलिए यदि आप आदेश पारित कर दें कि जब तक इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो जाती मुकदमे पर रोक रहेगी। यदि कोई अंतरिम सुरक्षा नहीं दी गई, तो (आज की सुनवाई की) पूरी प्रक्रिया व्यर्थ हो जाएगी।
हालांकि, न्यायमूर्ति दोशी ने इस स्तर पर कोई भी राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि नहीं, अभी हम ऐसा नहीं कर सकते। हम आपको यथाशीघ्र सुन सकते हैं, लेकिन (आज) कोई आदेश जारी नहीं किया जाएगा।
आप नेताओं की ओर से पेश हुए वकील ओम कोतवाल ने जब अदालत से उनके स्थगन आवेदन पर विचार करने का आग्रह किया, जिसे वे निचली अदालत की कार्यवाही के खिलाफ 14 अक्टूबर को दायर करना चाहते हैं, तो न्यायमूर्ति दोशी ने ऐसे आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया और याचिकाकतार्ओं से राहत के लिए निचली अदालत का रुख करने के लिए कहा।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कोतवाल के इसको लेकर एक आदेश पारित करने के अनुरोध को भी अस्वीकार कर दिया जिसमें निचली अदालत से आने वाले दिनों में उसके समक्ष दायर स्थगन आवेदन पर विचार करने के लिए कहा जाए।
आप संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और पार्टी के राज्यसभा सदस्य सिंह ने गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में निचली अदालत के समन के खिलाफ उनकी पुनरीक्षण अर्जी खारिज करने के सत्र अदालत के 14 सितंबर के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
सत्र अदालत के न्यायाधीश जे एम ब्रह्मभट्ट ने पूर्व में दोनों नेताओं को तलब करने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा था कि उसका आदेश न तो अवैध और न ही गलत है।
अहमदाबाद की मेट्रोपॉलिटन अदालत ने प्रधानमंत्री की डिग्री के संबंध में उनके व्यंग्यात्मक और अपमानजनक बयानों पर विश्वविद्यालय द्वारा दायर मानहानि मामले में 15 अप्रैल को केजरीवाल और सिंह को तलब किया था।
मोदी की डिग्री पर मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश को उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किये जाने के बाद गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने आप के दोनों नेताओं के खिलाफ उनकी टिप्पणियों को लेकर मानहानि का मामला दायर किया था।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि दोनों नेताओं ने एक संवाददाता सम्मेलन में और अपने ट्विटर हैंडल (अब एक्स) पर विश्वविद्यालय को निशाना बनाते हुए अपमानजनक बयान दिए। शिकायतकर्ता ने कहा कि दोनों नेताओं के बयान व्यंग्यात्मक प्रकृति के थे और जानबूझकर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए दिए गए थे।
दोनों नेताओं ने मेट्रोपोलिटन अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती देते हुए सत्र अदालत में पुनरीक्षण आवेदन दायर किया था। हालाँकि, सत्र अदालत ने मुकदमे पर अंतरिम रोक लगाने की उनकी याचिका सात अगस्त को खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया।