रांची : राजधानी रांची और हजारीबाग के बीच में पडऩेवाला रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र अब पूरे देश में सुर्खियां बटोरने लगा है. यह अगले कुछ महीनों में विधानसभा उपचुनाव होने जा रहा है. इस उपचुनाव को लेकर स्वर्णकार समाज समेत हर तबके में उत्साह दिखने लगा है क्योंकि यहां से सियासत का नये अंदाज में आगाज होने जा रहा और इसका शंखनाद झारखंड के पूर्व महाधिवक्ता व बिहार स्टेट बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष सह राज्य के सबसे पुराने राजनीतिक दलों में से एक झारखंड पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष अजीत कुमार ने किया है.
अब राजधानी रांची व रामगढ़ से लेकर पूरे राज्य तक में इस उपचुनाव के साथ साथ अजीत कुमार की भी चर्चा होने लगी है. लोगों की अजीत कुमार को लेकर दिलचस्पी भी बढऩे लगी है. हाल ही में रामगढ़ पहुंचने पर अजीत कुमार का स्वर्णकार समाज समेत अन्य तबके को लोगों ने जिस गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें सुनने में गंभीरता दिखाई उससे दूसरे दलों में भी हलचल है. हर कोई यही जानने का आतुर दिख रहा कि आखिर अजीत कुमार की उम्मीदवारी का विधिवत ऐलान भी नहीं हुआ है फिर भी लोग उनको लेकर इतने जागरुक क्यों व कैसे दिख रहे हैं.
रामगढ़ इलाके में कई स्थानों पर जाकर लोगों से बातचीत करने से इस राज से पर्दा उठ गया. दरअसल लोग अजीत कुमार को इसलिए गंभीरता से लेते हुए उम्मीद भरी नजरों से देखने लगे हैं क्योंकि उनके आने से लोगों को राजनीति में नया अध्याय शुरू होने की आस जगी है. पहली बात तो यह कि अजीत कुमार का पेशा राजनीति नहीं है. वे आर्थिक उपार्जन करने के लिए सियासत में
नहीं आ रहे है. पैसा, पद व प्रतिष्ठा को वे काफी पहले से करीब से देखते व उसका उपयोग करते आ रहे हैं. इस लिहाज से वे परंपरागत नेताओं के भिन्न हैं. वे राजनीति में पूरी तरह से सेवा भाव से आ रहे हैं. सफल अधिवक्ता के रूप मे जो अनुभव कमाया है उसके जरिए लोगों की सेवा करना चाह रहे हैं. उनके मन में भी कशक है कि 23 साल का होने जा रहा झारखंड अभी भी पिछड़ा क्यों है? यहा की जनता बदहाल क्यों है? खेती किसानी के साथ साथ उद्योग धंधों का विकास क्यों नहीं हुआ? शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य फिसड्डी क्यों बना है? युवाओं को रोजगार क्यों नहीं मिल रहा? प्रतिभा पलायन क्यों बड़ी समस्या है? कौशल विकास के लिए जमीन पर क्यों ठोस पहल नहीं की जा रही? एक बड़ी बात यह कि नियम कानून बनाने में कमी क्यों व कैसे रहने दी जा रही कि अदालत में चुनौती देने पर सरकार की स्टैंड कमजोर पड़ जाता है?
अजीत कुमार इन सवालों व स्थितियों को बखूबी समझते हैं. इसीलिए वे अपने जैसे स्वच्छ छवि व ईमानदार प्रतिबद्धता रखनेवाले लोगों की राजनीति में आने की पुरजोर वकालत करते हैं. वे कहते हैं कि जब तक अच्छे लोग सियासत की ओर रुख नहीं करेगा तबतक झारखंड में सही अर्थ में बदलाव का आगाज नहीं होगा.
वे कहते हैं कि रामगढ़ उपचुनाव के जरिए वे अपनी बातों को जनता तक पहुंचाना चाहते हैं. जनता के आशीर्वाद के अपनी सियासी व चुनावी मुहिम को अंजाम तक ले जाना चाहते हैं.
वाकई. ये तो आजाग है. रामगढ़ की माटी में अजीत कुमार की मुहिम को जिस तरह से समर्थन मिलना शुरू हुआ है उसे देखकर फिलहाल यही कहा जा सकता है कि स्वर्णकार समाज के इस लाल की चुनावी सियासी पारी का आगाज तो अच्छा है….