रांची : देश के सबसे प्रतिष्ठित व बड़े कारोबारी संगठन इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन यानी आईबीजेए ने अपने संगठन विस्तार कार्यक्रम के तहत झारखंड पर फोकस करना शुरू कर चुका है. इस राज्य में अपनी सांगठनिक ढांचा को खड़ा करने की जिम्मेेदारी जमशेदपुर से जानेमाने सर्राफा कारोबारी कमल सिंघानिया को सौंपी गई है. कमल कई संगठनों से जुड़े रहे हैं और अपनी धारदार नेतृत्व क्षमता व पेशेवर तरीके से काम को सधे अंदाज में अंजाम देने के लिए जाने जाते हैं. उन्हें एक कुशल संगठनकर्ता के रूप मेें भी जाना जाता है. आईबीजेए की झारखंड इकाई का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद सोनारसंसारडॉटइन ने कमल सिंघानिया के लंबा साक्षात्कार कर जानना चाहा कि राज्य में अपने इस संगठन को लेकर उनकी क्या दिशा व दशा रहेगी? प्रस्तुत है हमारे कार्यकारी संपादक कपिलदेव ठाकुर के साथ कमल सिंघानिया के इंटरव्यू के प्रमुख अंश:
प्रश्न : सबसे पहले नया दायित्व मिलने पर हार्दिक बधाई. साथ ही सवाल भी कि जब पहले से इतने संगठन मौजूद हैं तो झारखंड के आभूषण जगत में एक और संगठन क्यों?
उत्तर : बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद व आभार. आपका सवाल सुंदर, सटिक व प्रासंगिक है. किसी के भी मन में यह सवाल उठना लाजिमी है, इस संबंध में हमारा यही कहना है कि मौजूदा समय में झारखंड को एक ऐसे संगठन की सख्त आवश्यकता है जिसका फलक राष्ट्रीय है. जिस संगठन के पास लंबा इतिहास हो. जो आभूषण कारोबारियों के साथ साथ कारीगरों के विकास के लिए भी सतत प्रयत्नशील रहता हो. जो सरकारों से सीधा संवाद करता हो और हर हाल व हर काल में कारोबारियों व कारीगरों की आवाज बुलंद करने का दमखम रखता है. इन कसौटियों पर आईबीजेए 24 कैरेट के सोने जैसा शुद्ध है. पवित्र है. इसीलिए इसने झारखंड में दस्तक दी है.
प्रश्न : अभी तक कारोबार जगत ने आपको जमशेदपुर ज्वैलर्स एसोसिएशन या झारखंड ज्वैलर्स एसोसिएशन जैसे क्षेत्रीय संगठनों से जुड़ा देखा है. आपकी सक्रियता को परखा है. नए संगठन के साथ मार्केट में किस मिशन के तहत उतरेंगे आप?
उत्तर : आपने जिन संगठनों का नाम लिया, वे अपने सीमित संसाधानों के बूते अच्छा काम करते रहे हैं. कई मौकों पर इन संगठनों ने इसे साबित भी किया है. लेकिन बदलते दौर में जमाने की मांग है बाजार में उसी का प्रभाव व पकड़ रहेगी जिस संगठन के पास नेशनल नेटवर्क रहेगा. इसीलिए आईबीजेए के मिशन के साथ हम झारखंड के कारोबारियों व कारीगरों से रुबरु होने जा रहे हैं. हमारी इस यात्रा में जमशेदपुर ज्वैलर्स एसोसिएशन या झारखंड ज्वैलर्स एसोसिएशन की गतिविधियों से प्राप्त अनुभवन हमारी राह सुगम करेंगे.
प्रश्न क्या संदेश रहेगा आपका?
उत्तर: राष्ट्रीय स्तर से विश्वसनीय संगठन के जुडि़ए. कई तरह से फायदे होंगे. सबका साथ मिलेगा तो सबका विकास होगा. एक बार आजमा कर तो देखिए.
प्रश्न : किसी भी संगठन को खड़ा करने में संसाधनों की बहुत जरूरत होती है. चंदा-डोनेशन को लेकर क्या ख्याल है आपका?
उत्तर : बहुत ही सही सवाल उठाया है आपने. आजकल किसी भी क्षेत्र में चंदाखोरी इतनी बढ़ गई है यह बदनामी का, कभी कभी, कारण व कारक भी बन जाती है. हम गर्व के साथ बताना चाहेंगे झारखंड में संगठन खड़ा करने में हम चंदा या डोनेशन को जरिए या हथियान नहीं बनाएंगे. इनसे हम दूर रहेंगे. यहां तक की हमारी सदस्यता भी बिल्कुल नि:शुल्क रहेगी.
प्रश्न : झारखंड के आभूषण कारोबार व कारीगरों के विकास के क्या है आपके मन में? कोई ठोस योजना?
उत्तर : हम चरणबद्ध तरीके से काम करेंगे. पहले चार महीनों में राज्य के सभी 24 जिलों में संगठन को खड़ा करेंगे. उसके बाद हर जिले से पांच लोगों की टीम बनाकर विकास की राह में आने वाली समस्याओं व उन्हें दूर करने के सुझाव को सूचीबद्ध करेंगे. इसके बाद रांची में राज्यस्तरीय महाबैठक पर इन मुद्दों पर मंथन करेंगे. उससे निकले ब्लूप्रिंट के आधार पर योजनाओं का चयन करते हुए उन्हें अमलीजामा पहनाने की रणनीति पर अमल किया जाएगा.
प्रश्न : आभूषण कारोबार व कारीगरों के विकास को लेकर क्या मन में कुछ चल रहा है? कुछ साझा करेंगे?
उत्तर : हमारा संगठन काम में विश्वास करता है. रिजल्ट दिखाकर बात करता है. इस नाते अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. फिर भी बताना चाहेंगे कि झारखंड में ज्वैलरी पार्क के निर्माण की सारी स्थििितयां मौजूद हैं. बस सिर्फ मजबूत इरादे से ठोस पहल करने की आवश्यकता है. कारीगरों के लिए ऐसे प्रशिक्षण केंद्र की आवश्यकता है जहां आधुनिक तकनीक से मशीनीकरण के इस दौर में उन्हें ट्रेंड किया जा सके ताकि भविष्य में वे अपने रोजगार व कला को बचाकर रख सकें. युवाओं को इस कारोबार की ओर आकर्षित करने के लिए भी पहल करनी है. जेम्स व ज्वैलरी कोर्स की शुरुआत कराई जा सकती है. रत्न के क्षेत्र में भी असीम संभावनाए हैं. छोटे स्थानों के आभूषण कारीगरों के सामने हालमार्किंग की रहा में आ रही कठिनाइयों से निपटना भी हमारे एजेंडे मे है.
प्रश्न: आभूषण कारोबार जगत भय व दहशत में भी जीने को अभिशप्त सा हो गया है, यह बहुत बड़ी समस्या है जिसके निराकरण की बात तो सभी कहते हैं लेकिन होता कुछ खास नहीं. इसपर आपकी प्रतिक्रिया?