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Thursday, November 21, 2024
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    झारखंड में अपना विस्तार करेगा आईबीजेए, कमल सिंघानिया को सौंपी गई राज्य इकाई की कमान

    कपिल देव ठाकुर
    रांची : बुलियन व ज्वेलरी की दुनिया का अति प्रतिष्ठित संगठन आईबीजेए यानी इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन अब झारखंड में भी अपना सांगठनिक विस्तार करने जा रहा है. राज्य में ज्वेलरी कारोबार के सुनहरे भविष्य को देखते हुए संगठन इस दिशा में आगे बढ़ा है. राज्य के प्रतिष्ठित आभूषण कारोबारी व कई संगठनों से जुड़े कमल सिंघानिया को आईबीजेए की राज्य इकाई की कमान सौंपी गई है.
    कमल सिंघानिया का झारखंड की औद्योगिक नगरी जमशेदपुर के हृदयस्थल साकची में ज्वेलरी का प्रतिष्ठान है. उनके शोरूम का नाम आभूषण है. राज्य के चुनिंदा विश्वसनीय व प्रतिष्ठित ज्वेलरी दुकानों में आभूषण शीर्ष सूची में शुमार है.
    कमल सिंघानिया को झारखंड इकाई की कमान सौंपने के पीछे आईबीजेए की यह मान्यता भी एक अहम कारक रही कि उनके (कमल के) पास विश्वसीनयता की विरासत है. आभूषण कारोबार व इससे जुड़े लोगों को आगे बढ़ाने में उनके प्रतिष्ठान का उल्लेखनीय योगदान रहता आया है.
    अब कमल सिंघानिया के ऊपर राज्य के सभी 24 जिलों में आईबीजेए के संगठन को खड़ा करने की महती जिम्मेदारी है. संगठन खड़ा हो जाने के बाद आईबीजेए झारखंड मे भी अपनी गतिविधियों को विस्तार दे सकेगा.
    फिलहाल देश के कई राज्यों में अपने आधार व संगठन को मजबूती से खड़ा करने में सफलता रखनेवाला आईबीजेए झारखंड में ज्वेलरी कारोबार से जुड़े लोगों को न सिर्फ कारोबार की अद्यतन जानकारी से अपडेट रखेगा बल्कि कारोबारियों व कारीगरों के विकास के लिए भी कई योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का काम करेगा.
    फिलहाल कमल सिंघानिया अभी अपनी कोर टीम बनाने में जुटे हैं. राज्य स्तरीय कोर टीम बन जाने के बाद जिलों में संगठन को खड़ा करने की तैयारी है. उम्मीद की जा रही है कि अगले तीन से चार महीनों में पूरे झारखंड में आईबीजेएक का संगठन मजबूती से दिखने लगेगा.

    अब जानिए आईबीजेएक के बारे में

    ब्रिटिश राज के दौरान सोने और चांदी के बुलियन को जहाजों के माध्यम से भारत में आयात किया जाता था. मुंबई, जिसे तब बॉम्बे कहा जाता था, भारत में सर्राफा व्यापार के प्रमुख केंद्रों में से एक था. बाजार व्यापारियों और जौहरियों से भरा हुआ था. बुलियन युग व्यापारियों के लिए शानदार युग था. 1919 में, बुलियन व्यापारियों के औपचारिक रूप से संघ के लिए बीज बोया गया था. तब प्रसिद्ध बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन (बीबीए) की स्थापना की गई थी.
    1920 में बंबई (अब मुंबई) में बुलियन का वायदा बाजार दुनिया में सबसे बड़ा था. 24 जनवरी, 1923 को बीबीई (बॉम्बे बुलियन एक्सचेंज लिमिटेड)एक संगठन के रूप में पंजीकृत किया गया था जो धीरे-धीरे एक सुरक्षा तिजोरी के साथ व्यापारियों की सुविधा के लिए विकसित हुआ.
    परिवर्तन और विकास दोनों प्रकृति के अंग हैं. सर्राफा संगठन के साथ भी ऐसा ही हुआ. यह धीरे-धीरे मेल्टिंग और रिफाइनिंग से लेकर एसेइंग तक, धर्मकांटा से लेकर बुलियन रिंग और फॉरवर्ड ट्रेडिंग तक विभिन्न विभागों में विकसित हुआ. और बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन लिमिटेड के रूप में प्रसिद्ध हो गया, जो भारत में सराफा व्यापार के लिए शीर्ष निकाय होने के शिखर पर पहुंच गया. बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन ने अखिल भारतीय संचालन के लिए काम किया. बाद में इसे आईबीजेएक के नाम से जाना जाने लगा.

    क्या करता है काम

    आईबीजेए पूरे भारत में बुलियन के खुलने और बंद होने की दरें देता है. यह काम दिन में दो बार सुबह व साम में किया जाता है. यहां तक कि आरबीआई भी एसोसिएशन द्वारा दी गई दरों का पालन करता है. एक निष्पक्ष और तटस्थ संगठन है जो एक बहुआयामी दृष्टिकोण रखता है. यह न केवल एक संरचित व्यापार क्षेत्र के कामकाज की सुविधा प्रदान करता है बल्कि विवादों को भी निपटाने में सक्रिय पहल करता है. यानी दुकानदारों के बीच सुलहकर्ता के रूप में कार्य करता है.
    कीमती वजन के लिए एक तटस्थ और सही मंच प्रदान करता है. व्यापारिक समुदाय के लिए स्वीकार्य धातु, विभिन्न सरकारी और कार्यकारी एजेंसियों के साथ बातचीत, पार्टियों को स्वीकार्य कीमती धातुओं की परख की विश्वसनीय और सही रिपोर्ट प्रदान करता.

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