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Thursday, November 21, 2024
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    ऐ मौत आकर खामोश कर गई तू, सदियों दिलों के अंदर जगदीश बाबू गूंजते रहेंगे

    कपिल देव ठाकुर

    रांची। जगदीश प्रसाद. पटना के निवासी. रांची भी लगातार आते-जाते रहते थे. पहली मुलाकात स्टेट जीएसटी के वरीय अधिकारी मिथिलेश कुमार के सौजन्य से हुई विशाल व्यक्तित्व, विराट चेहरा, गौर वर्ण और सामने वाले को अपने आकर्षण में बांध लेने की गजब की क्षमता.
    जगदीश बाबू से जब पहली बार मुलाकात हुई तभी लगा कि उनका व्यक्तित्व जादुई है. उनके पास अनुभवों का भंडार है. ज्ञान का सागर है और समाज को कुछ देने की जीजीविशा है. जगदीश बाबू से जब-जब मिला हमेशा वे मनुष्य में नैतिक मूल्यों की स्थापना, सनातन संस्कारों के प्रति प्रतिबद्घता और समाज के विकास को लेकर जागरूकता पर बल देते रहे.
    वे सिर्फ इन बातों को कहते नहीं थे. अमल करने का भी पूरा प्रयास करते थे. या यूं कहिए कि अमल करके दिखाते भी थे.
    जगदीश बाबू स्वर्णकार समाज से आते थे. स्वभावित रूप से अपने कुल समाज के विकास को लेकर उनके भीतर हमेशा चिंतन-मनन चलता रहता था. लेकिन उनके व्यक्तित्व की ये विशेषता थी कि वे अन्य समाज और समुदाय की तरक्की के लिए भी प्रयत्नशी रहते थे. उनका मानना था कि समग्र समाज के विकास से ही अपना देश मजबूत होगा. किसी एक समाज के विकास कर लेने और बाकी समाज के पिछड़े रहने से देश की तरक्की नहीं हो सकती.
    वो कहा करते थे कि हर व्यक्ति से जितना हो सके उतना ही करे लेकिन समाज के लिए कुछ करे. बच्चों को अपनी विरासत और संस्कारों से अवगत कराता रहे. उनमें नैतिक और आध्यात्मिक बल को मजबूत करने के लिए भी निरंतर काम जारी रखे. ऐसा करने से बच्चों का समग्र व्यक्तित्व उभरेगा जिससे कालांतर में समाज लाभान्वित होगा. जगदीश बाबू समाज की एकता और एकजुटता के प्रबल समर्थक थे. उनका मानना था कि एका और एकजुटता की पहल हर स्तर पर की जानी चाहिए. त्याग की भावना इसका आधार होना चाहिए और ईष्र्या-द्वेष का इसमें नामोनिशान नहीं होना चाहिए.
    जगदीश बाबू का स्वभाव इतना सरल था, आचरण इतना शुद्घ था और कथनी और करनी में इतना साम्य था कि उनके संपर्क में जो कोई भी आता था उनका ही बनकर रह जाता था.
    उनके व्यक्तित्व के ही इन्हीं विशेषताओं का कमाल था कि 84 वर्ष की उम्र में भी वे पूरी तरह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सक्रिय थे. जीवन के अंतिम समय तक शारीरिक व्याधि उन्हें छू नहीं पाई थी और वे पटना-रांची के अलावा अन्य स्थनों पर भी जाकर समाज की भलाई के लिए अपने स्तर से हर संभव प्रयास करते थे.
    आज वे हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी पुण्य आत्मा हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत का काम करेगी और उनके दिखाए मार्ग पर चलकर हम व्यक्ति और समाज निर्माण के लिए प्रेरित होते रहेंगे. जगदीश बाबू पुण्य आत्मा को कोटि-कोटि नमन और विनम्र श्रद्घांजलि.

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