गोपाल सोनी
रांची : शायद ही ऐसा कोई दिन रहता है जब कोई आभूषण कारोबारी चोरी, लूट, छिनतई अथवा रंगदारी आदि आपराधिक घटनाओं से दो-चार नहीं होता है. एक दिन पहले रांची का आभूषण कारोबार जगत फिर भय के साये में रहने को अभिशप्त हो गया जब राजधानी के आभूषण कारोबारी ओमप्रकाश स्वर्णकार को घर के समीप बाइक सवार अपराधियों ने गोली मार दी.
जरा सोचिए, ऐसा खौफजदा माहौल कब तक रहेगा? ऐसी विकट स्थिति में कारोबार कैसे चलेगा? डर के साए में कारोबारी कब तक अपना काम कर सकेंगे? बड़ी बात यह कि जब जान और माल ही सुरक्षित नहीं रहेगा तो फिर कारोबार की बात ही क्या है? ऐसे में अब तो सभी आभूषण कारोबारियों और समाज के लोगों को जान और माल की रक्षा के लिए एकजुट होकर एक बैनर तले आने में देर नहीं करनी चाहिए.
बेशक अपराध रोकना पुलिस का दायित्व है और हर नागरिक को सुरक्षा प्रदान करना सरकार का कर्तव्य. लेकिन विचारणीय सवाल यह भी है कि यदि पुलिस और सरकार के कामकाज जनअपेक्षाओं की कसौटी पर खरा न उतरे तो क्या करना चाहिए?
यदि कोई अपनी जानमाल की रक्षा के लिए नियम कानून के दायरे में असंवैधानिक तरीके से कुछ करता है तो उसपर सवाल उठाने का मौका किसी को नहीं मिलता है. आभूषण कारोबार जगत और समाज के लोगों को इस बात को समझना होगा.
तब क्यों नहीं रांची को केंद्र बनाकर झारखंड स्तर पर आभूषण कारोबारियों का एक ऐसा संगठन बनाया जाए जो सिर्फ और सिर्फ उनके बीच कायम भय और दहशत के माहौल को खत्म कराने की पहल करे और ऐसा सुगम वातावरण निर्माण करने में अपनी भूमिका निभाए ताकि हर कोई चैन के साथ अपनी रोजी-रोटी या धंधा-पानी की व्यवस्था पटरी पर रख सके.
सबसे पहले रांची में इसकी शुरूआत कर एक मिसाल पेश की जानी चाहिए. आभूषण कारोबार से जुड़े तमाम संगठनों को आपस में समन्वय बनाकर एक छतरी तले आना होगा तब शासन-प्रशासन और सरकार तक अपनी बातों को रखना होगा. एकजुटता की ताकत बहुत कारगत होगी और तब सरकार भी आभूषण कारोबार जगत की बातों, समस्याओं या मांगों को अनसुना करने की स्थिति में नहीं होगी.
तब पुलिस-प्रशासन के साथ बैठकर एक मुकम्मल कार्य योजना को भी अमलीजामा पहनाया जा सकेगा. जिसके जरिए आभूषण कारोबारियों में भय को दूर कर भरोसा की भावना जागृत हो सकेगी.
पूरा विश्वास है कि बिना देर किए रांची में ऐसी पहल होगी और धीरे-धीरे पूरे झारखंड को इसकी छतरी में लाकर आभूषण कारोबार जगत से भय और दहशत को खत्म करने में सफलता मिलेगी.