धर्मेंद्र कुमार
रांची: बेशक निर्यात के आंकड़ों के आधार पर आभूषण उद्योग के लिए राहत के संकेत हैं. लेकिन जमीनी स्थिति खासकर झारखंड, ओडिशा, बिहार व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में आभूषण कारोबारी कठिन चुनौतियों से जूझ रहे हैं. खासकर कोरोना काल से. ये चुनौतियां चौतरफा हैं. यदि समय रहते इनके समाधान की ठोस पहल कर ली जाती है तो अपनी शानदार विरासत को बेहतर फैलाव के लिए हम और बड़ा विकल्प दे सकते हैं.
पूरे हिंदी पट्टी में आभूषण कारोबारी भय के वातावरण में कारोबार करने को मजबूर हैं. लूट-चोरी और छिनतई की घटनाएं आम हैं. कब और कहां कौन सा कारोबारी अपराधियों का शिकार बन जाए इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता. अभी चार दिन पहले धमकी भरे पत्र को जिंदा कारतूस के साथ लखनऊ के एक ज्वैलर्स को भेजा गया. सनसनी मची हुई है. ऐसा होना स्वाभाविक भी है क्योंकि योगा बाबा के राज में कोई ऐसा दुस्साहस कर सकता है तो बाकी राज्यों की बिसात ही क्या है?
जून महीने में झारखंड की राजधानी रांची में तो एक आभूषण कारोबारी को उसके शोरूम में जाकर दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. झारखंड के ही औद्योगिक नगर जमशेदपुर के प्रतिष्ठित छगनलाल दयालजी परिवार के प्रतिष्ठान के कर्मचारियों से 32 लाख रुपये की लूट कर ली गई. यह लूट 14 फरवरी 2022 को हुई थी. इसके हफ्ते दिन बाद इसी शहर के साकची में 10 लाख के सोने की लूट हुई. बोकारो में आभूषण कारोबारी से 30 लाख की लूट हुई थी.
यह तो महज बानगी है. ऐसी घटनाओं की लंबी सूची है. जो आभूषण कारोबारियों के बीच दहशत का माहौल बनाए हुए है. ऐसे में आभूषण कारोबार को बचाने और कारोबारियों में विश्वास बहाली के लिए शासन-प्रशासन से इन कदमों की अपेक्षा की जाती है –
- आभूषण कारोबार जगत को मुकम्मल सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करानी जाए.
- हत्यारों के लिए आवेदन देने वाले आभूषण कारोबारियों को तुरंत प्रशासन हथियारों का लाइसेंस निर्गत करे.
- चोरी, लूट या हत्या की जिन घटनाओं का उद्भेदन अभी तक नहीं हो सका है उनका उद्भेदन करने के लिए पुलिस प्रशासन संकल्पबद्घ होकर काम करे.
- आभूषण कारोबारियों से जुड़े आपराधिक वारदातों में जिन आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है या जो जमानत पर हैं उन्हें सजा दिलवाने के लिए कारगर कदम उठाए जाएं.
- थाना स्तर पर ज्वेलर्स पुलिस समन्वय समिति बनाकर सुरक्षा के मुद्दे पर निरंतर सहयोग समन्वय और संवाद की स्थिति जीवंत रखी जाए.
अगर इन बिंदुओं पर प्रशासन आभूषण कारोबारियों का साथ लेकर त्वरित कार्रवाई करेगा तो यकीन मानिए कि भय के माहौल खात्मा होगा और निडर रहकर आभूषण कारोबारी अपने व्यापार को गति प्रदान करने में पूरे मनोयोग से काम कर सकेंगे.
आभूषण कारोबार को विस्तार देने के लिए ज्वेलरी पार्क के निर्माण की पहल होनी चाहिए. झारखंड के साथ ही बने छत्तीसगढ़ राज्य में ज्वेलरी पार्क मूर्त रूप ले चुका है. इससे हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं और आभूषण कारोबारियों को अपने कारोबार विस्तार का अवसर प्राप्त हुआ है.
अगर झारखंड में ज्वेलरी पार्क बनता है तो इस राज्य के परंपरागत आदिवासी आभूषण कला को भी वैश्विक पहचान मिल सकती है. इससे भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. राज्य के लोगों की कमाई भी बढ़ेगी.
झारखंड में आभूषण कारीगर भी इन दिनों भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं. कोरोना के बाद से तो इनकी स्थिति और गंभीर हो गई है. कमाई घट गई है. काम कम हो गया है. नतीजतन नये क्षेत्र में रोजगार तलाशने की नौबत भी आ गई है. लेकिन हजारों की संख्या में आभूषण कारीगर उम्र के इस पड़ाव पर हैं जहां वे कोई नया काम नहीं कर सकते उन्हें अब कारीगरी में ही जीना-मरना है. साथ ही युवा कारीगर भी मजबूरी में जीविकोपार्जन के लिए दूसरा जरिया अख्तियार कर रहे हैं. स्थिति की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई आभूषण कारीगर सब्जी बेचने, ठेला लगाने या किसी अन्य दुकान में सेल्समैन तक का काम करने को विवश हुए हैं. आभूषण कारोबारियों के लिए भी कुछ ठोस करने की जरूरत है. सबसे पहले इनके बीच दक्ष बनो अभियान चलना चाहिए. तकनीक और मशीनीकरण से इन्हें जोडऩा होगा. जरूरी प्रशिक्षण के साथ-साथ कुछ पूंजी की भी व्यवस्था करनी होगी जिससे वे आधुनिक मशीनों के जरिए अपनी कारीगरी को निखार सकें. कॉमन फैसेलिटी सेंटर या क्लस्टर के जरिए इस काम को बखूबी अंजाम दिया जा सकता है. ऐसा होने से वर्तमान आभूषण कारोबारियों की कला को संरक्षण मिलेगा. साथ ही नई पीढ़ी में भी यह विश्वास जमेगा कि कारीगरी के पुश्तैनी धंधे में भी भरपूर कमाई की संभावना है और इससे जुड़े रहकर भी भविष्य को सुनहरा बनाया जा सकता है.
झारखंड में आभूषण कारोबार को बचाने-बढ़ाने और कारीगरों को संरक्षण प्रदान करने के लिए यह भी जरूरी है कि सरकार प्रदत्त सभी योजनाओं से इन्हें आच्छादित करने की ठोस व्यवस्था की जाए. शासन प्रशासन के स्तर पर सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से इनसे जुड़े कार्यों का निष्पादन हो और ऐसी व्यवस्था बने कि एक समय सीमा के भीतर इनसे मिलने वाले आवेदनों या शिकायतों का निष्पादन सुनिश्चित कर लिया जाएगा.
शासन-प्रशासन की ओर से इस दिशा में आगे की कार्रवाई के लिए जरूरी है कि आभूषण कारोबार जगत, आभूषण कारीगर और स्वर्णकार समाज के संगठनों से जुड़े लोग व्यापार और समाज हित में अपने तमाम अंतर्रविरोधों, निजी हितों, निजी महत्वकांक्षाओं और निजी वैर-भाव को त्यागकर सहयोग के मार्ग पर चलने का संकल्प लें तभी बात बनेगी. तभी आभूषण कारोबार का भविष्य उज्जवल होगा और आभूषण कारीगर भी आर्थिक चुनौतियों से बेखौफ होकर अपनी कला को परिमार्जित करते हुए नई पीढ़ी में भी इस कला को लेकर आकर्षण पैदा करने में कामयाब होंगे.
( लेखक संोनारसंसार डॉट इन के प्रबंध संपादक हैं )