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Friday, September 13, 2024
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    स्वर्णकारों के विकास के लिए समाज के हर व्यक्ति को लेना होगा एकजुटता का मजबूत संकल्प : ललन ठाकुर

    बिहार के मुंगेर निवासी ललन ठाकुर समाज के उत्थान के लिए पिछले दो दशक से सक्रिय हैं. विभिन्न सामाजिक, कारोबारी और धार्मिक संस्थाओं से जुड़े ललन ठाकुर स्वर्णकार समाज की तरक्की के लिए भी हर जतन करते रहते हैं. दस साल तक वकालत का अनुभव रखने वाले और फिलहाल कारोबार के साथ-साथ समाजसेवा को भी पर्याप्त समय दे रहे ललन ठाकुर ने स्वर्णकार समाज की दिशा और दशा को लेकर सोनार संसार डॉट के प्रबंध संपादक धर्मेंद्र कुमार ने इनसे लंबी बातचीत की. प्रस्तुत है संपादित अंश –


    सोनार संसार : आप स्वर्णकार समाज से आते हैं. इसके उत्थान के लिए अथक परिश्रम कर रहे हैं. क्या अनुभव है आपका?
    ललन ठाकुर : हम इस कथन में पूरा विश्वास रखते हैं कि संसार में श्रेष्ठ व्यक्ति वही होता है जो अपने समाज के उन्नति के लिए निष्काम कर्मयोगी की भांति प्रयत्नशील रहता है. इसी सूत्र वाक्य पर मेरी गतिविधियां चलती हैं.
    सोनार संसार : सोनार संसार के पिछड़ेपन का, आपकी नजर, में क्या कारण है?

    ललन ठाकुर : मानव एक सामाजिक प्राणी हं. विभिन्न जीवन शैलियां इसे बांटती हैं. उसे हम जाति के नाम से जानते हैं. स्वर्णकार जाति का शानदार अतीत रहा है. लेकिन अपनों की उपेक्षा के कारण ही आज यह समाज पिछले पायदान पर पहुंच चुका है.

    सोनार संसार : इसके गूढ़ कारण तक पहुंचे हैं क्या?
    ललन ठाकुर : इसे काल गतिक्रम कहें या भाग्यगत दोष. स्वर्णकार प्रारंभ से षड्यंत्रों का शिकार होता रहा है. छोटी-छोटी जातियों-उपजातियों में बंटकर एकजुटता से दूर होता रहा है. समाज के सामूहिक हित के बारे में सोचने की जगह व्यक्तिगत हित साधने पर ध्यान देने का ही नतीजा है कि आज हमारा समाज इस स्थिति में आ खड़ा हुा है.
    सोनार संसार : लेकिन स्वर्णकार समाज का अतीत तो स्वर्णिम रहा है. फिर ऐसे दिन कैसे आ गए.
    ललन ठाकुर : आपने ठीक कहा. अनादिकाल से स्वर्णकार जाति का अस्तित्व है. देवताओं के शरीर पर शोभायमान आभूषण कौन बनाता था? स्वर्णकार कारीगर ही न. यदि हम अतीत की बात करें तो स्वर्ण का कार्य करने से स्वर्णकार या सोनारी जाति के लोगों के पास सोना होता था और वजह से मेराज सत्ता से नजदीक रहते थे. कालांतर में स्वर्णकार समाज के लोगों के पास से सोना भी कम होता चला गया और सत्ता से इनकी दूरी भी बढ़ती चली गई.
    सोनार संसार : राजसत्ता से दूर होने का कारण क्या रहा?
    ललन ठाकुर : प्रजातांत्रिक व्यवस्था में जिस एकजुटता और मजबूती के साथ अपनी बातों को रखा जाना चाहिए था इसपर स्वर्णकार समाज ने कभी ध्यान ही नहीं दियाा.
    नतीजा यह हुआ कि स्वर्णकार समाज को एकता के सूत्र में बांधकर सबल नेतृत्व का उदय ही नहीं हुआ. नतीजतन राजसत्ता को स्वर्णकार समाज की ताकत का अहसास ही नहीं हुआ. कमोबेस यह स्थिति आज भी बनी हुइ है. हमें यह कहने में जरा भी यह झिझक या संकोच नहीं कि आज देश में छोटी-छोटी जातियां सत्ता का सुख भाग रही हैं और उनके अधिकारों की बात संसद में होती है. स्वर्णकार समाज की चर्चा कोई नहीं करता. क्योंकि हमारा संसद या विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व ही नहीं है. स्वर्णकार समाज के इक्का-दुक्का लोग सांसद या विधायक बन ही जाते हैं तो भी समाज की आवाज उन्नति के साथ संसद या विधानसभा में उठ नहीं पाती. इसीलिए आज भी स्वर्णकार समाज के सामने राजनीतिक पहचान का संकट है. हमें याद रखना चाहिए कि जिन जातियों की राजनीतिक पहचान नहीं होती उनका समाज में कोई वजूद ही नहीं होता.
    सोनार संसार : स्वर्णकार समाज की इस मूलभूत दयनीय स्थिति को कैसे सुधारा जा सकता है.
    ललन ठाकुर : इसकी पहली शर्त है शिक्षा का प्रचार-प्रसार. क्योंकि शिक्षा से समाज में चेतना आएगी. जब चेतना आएगी तो एकजुटता का भाव पैदा होगा. जब एकजुटता का भाव पैदा होगा तो सियासत में दिलचस्पी बढ़ेगी और तब राजसत्ता से अपना वाजिब हक पाने के लिए तन-मन-धन से प्रयास होंगे जिनसे सफलता का मार्ग प्रशस्त होगा. इसके साथ ही स्वर्णकार समाज के लोगों को हर जगह गर्व से कहना होगा कि हां वे स्वर्णकार है. पिछड़े हैं. कमजोर हैं. लेकिन देश की आबादी में स्वर्णकार समाज की भागीदारी 5 प्रतिशत से अधिक है. लिहाजा राजनीति में वाजिब हक मिलना चाहिए.
    सोनार संसार : इतनी बड़ी आबादी, इतने सारे संगठन फिर भी स्वर्णकार समाज दिशाहीनता का शिकार कैसे?
    ललन ठाकुर : यह सही है कि स्वर्णकार समाज के करीब डेढ़ हजार संगठन विभिन्न स्तरों पर पंजीकृत हैं. लेकिन देखना होगा कि इनमें से सही मायने में कितने सक्रिय हैं? कितने संगठनों को समाज के विकास की वास्तविक चिंता है? आज स्थिति यह हो गई है कि चार लोग जुट जाते हैं, मीडिया में नाम आ जाता है और अपने स्वयंभू संगठन के बैनर तले प्रेस विज्ञप्ति, फोटो-वीडियो जारी कर अपने कर्तव्य का इतिश्री कर लेते हैं. हमें ऐसी स्थिति से बचना होगा. केवल मीडिया की सुर्खियों में आकर ही काम नहीं चलेगा. स्वहित को तिलांजलि देकर ही समाज की भलाई की जा सकती है.
    सोनार संसार : स्वर्णकार समाज के विकास के लिए एक वाक्य में आपका संदेश क्या होगा?
    ललन ठाकुर : एकजुटता से ही विकास.
    सोनार संसार : समाज के लिए आपका क्या संदेश है?
    ललन ठाकुर : संगठित रहिए, अपने समाज के अंतिम व्यक्ति के लाभ के लिए कार्य कीजिए. अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाइए. सियासत में भी दिलचस्पी रखिए और सत्ता में भागीदारी के लिए आवाज बुलंद करते हुए अपेक्षित कर्तव्यों का निवर्हन कीजिए. यदि स्वर्णकार समाज का हरेक सदस्य मन में ठान ले कि समाज की एकजुटता के लिए कार्य करेगा और कंधे से कंधा मिलाकर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कवायद करेगा तो तय मानिए कि राज सत्ता में प्राचीन काल की तरह अब भी स्वर्णकार समाज का जलवा दिखने लगेगा.

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