धर्मेंद्र कुमार
रांची: झारखंड की राजधानी रांची के डेली मार्केट थाना क्षेत्र के ओसीसी कंपाउंड स्थित अरविंद ज्वेलर्स में घुसकर आभूषण कारोबारी राजेश पॉल की दिनदहाड़े हुई हत्या के बाद सनसनी फैल गई है। इस हत्याकांड से आक्रोशित सोना-चांदी व्यवसायियों ने अपनी दुकानें बंद कर धरना देते हुए आंदोलन शुरू कर दिया है। ये लोग अपराधियों की अविलंब गिरफ्तारी की मांग और अपने जानमाल की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
रांची में आभूषण कारोबारियों के हर सुख-दुख में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाले और भारतीय जनता पार्टी ओबीसी मोर्चा के रांची महानगर जिलाध्यक्ष गोपाल सोनी ने धरना स्थल पर जो कुछ कहा उसे सुनने के बाद दिवंगत राजेश पॉल के जज्बे को हर कोई सलाम करना चाहेगा। अपराध और अपराधियों के खिलाफ जंग करते हुए राजेश पॉल ने अपनी जान की परवाह नहीं की और अंत-अंत तक अपनी ताकत अपराधियों को पकड़ने में लगाए रखी।
पांच अपराधी उनके पिता द्वारा स्थापित दुकान अरविंदो ज्वेलर्स में घुसे थे। मंगलवार दोपहर ढाई बजे के करीब वारदात हुई। पांच की संख्या में आए अपराधी हथियारों से लैस थे। मुंह को गमछा से ढंक कर रखा था और मास्क भी पहने हुए थे। दो अपराधी तो हेलमेट भी पहन रखे थे।
दुकान में घुसते ही अपराधियों ने लूटपाट शुरू कर दी। राजेश पॉल ने इसका पुरजोर विरोध किया। उन्होंने अदम्य साहस दिखाया। अपराधियों के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए वे उनसे भिड़ गए और तबतक प्रतिकार करते रहे जब तक कि सिर में गोली लगने के बाद जमीन पर गिर नहीं गए. प्रतिष्ठान के एक अन्य कर्मचारी ने भी मालिक राजेश पॉल का साथ दिया। उसने एक अपराधी को पकड़ भी लिया था लेकिन अपराधी भागने में सफल रहे।
धरनास्थल पर बैठे कारोबारियों में यही चर्चा थी कि राजेश ने अपराधियों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए जो साहस दिखाया वैसा हौसला पुलिस को दिखाना चाहिए।
आभूषण कारोबार जगत में पुलिस को लेकर भी आक्रोश दिखा। कारोबारियों का कहना था कि पिछले दो-तीन महीनों में रांची और जमशेदपुर में आभूषण दुकानदारों को अपराधियों ने निशाने पर ले रखा है, लेकिन जितनी त्वरित कार्रवाई पुलिस को करनी चाहिए वैसी दिखती नहीं है।
यदि पुलिस ने मुकम्मल सुरक्षा व्यवस्था की होती तो इस घटना को होने से रोका जा सकता था। अपराधियों के बेखौफ हो जाने के कारण ही अरविंदो ज्वेलर्स के संचालक के पुत्र राजेश पॉल अकाल मौत के आगोश में चले गए।
सवाल उठ रहा है कि आभूषण कारोबारियों की सुरक्षा की कोई मुकम्मल रणनीति अकतक क्यों नहीं बन पाई। पुलिस कारोबारी समन्वय समिति को बनाने के सवाल पर कारगल पहल करने में क्या बाधा आ रही है? जो कारोबारी हथियारों का लाइसेंस लेना चाह रहा उसे निर्गत करने में अड़चन क्या है? दुकानों के आसपास पुलिस पोस्ट बनाने या पुलिसकर्मियों की तैनाती को लेकर अपेक्षित सक्रियता क्यों नहीं दिखाई जाती? जब लूट या हत्या की बड़ी वारदात हो जाती है तब ही हायतौबा क्यों मचाया जाता है? घटना होने से पहले ऐसी ठोस व्यवस्था बनाने को लेकर यदि इमानदार प्रयास शासन-प्रशासन के स्तर से होता तो ऐसी अप्रिय वारदातें टाली जा सकती थी।
धरनास्थल पर लोग यह भी सवाल उठाते मिले कि क्या राजेश पॉल की शहादत से कोई सबक आभूषण कारोबार जगत और पुलिस प्रशासन ले सकेगा। क्योंकि अपराधी कब और कहां पहुंच जाएंगे इस बारे में भला कौन बता सकता है।