मधुबनी. बिहार के सीतामढ़ी जिले के रूनी सैदपुर थाना के मानिक चौक धकजरी निवासी और झारखंड के रामगढ़ (हजारीबाग) को अपनी कर्मस्थली बनाने वाले स्वर्णकार समाज के पुरोधा स्व. राम आशीष ठाकुर की स्मृति में प्रकाशित पुस्तक पितृ कृपा का विमोचन मधुबनी में रीना ठाकुर ग्रुप ऑफ इंस्टीच्यूटशनन्स के 22 वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में किया गया. कालीदास विद्यापति सांइस कॉलेज बेनीपट्टी मधुबनी के प्राचार्य डॉक्टर शुभ कुमार वर्णवाल ने स्व. राम आशीष ठाकुर के व्यक्तित्व पार प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि सीतामढ़ी की पावन धरती पर जन्म लेने वाले राम आशीष बाबू स्वर्णकार समाज के एक ऐसे निष्काम कर्मयोगी थे जो आजीवन मौन साधक के रूप में समाज के उत्थान के लिए प्रयासरत रहे. सीतामढ़ी में आरंभिक पढाई करने के बाद उन्होंने 1952 में जमशेदपुर की टाटा कंपनी में नौकरी शुरू की थी. 1960 में वे रामगढ़ हजारीबाग क्षेत्र के गिदी सी चले गये और वहां एनसीबीसी में सेवा दी. नौकरी से अवकाश ग्रहण करने के बाद रामगढ़ (हजारीबाग)को अपनी कर्मस्थली बनाकर वे सक्रिय रहे. रामआशीष बाबू का इसी साल 93 साल की उम्र में परलोक गमन हुआ. उनकी स्मृति में उनके बड़े पुत्र व झारखंड की राजधानी रांची निवासी कपिलदेव ठाकुर की ओर से प्रकाशित पितृ कृपा पुस्तक में यह संदेश दिया गया है कि माता पिता का सम्मान करने से जीवन में कल्याण होता है. इसलिए बच्चों को संस्कारी बनाना चाहिए. ताकि आगे चलकर वे समाज के लिए गौरव बन सकें.पुस्तक में पितर, पितृ पक्ष और पितृ तपर्ण के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है. ताकि नई पीढ़ी अपने सनातन संस्कारों का वाहक बन सके. स्व़ राम आशीष ठाकुर की सुपुत्री रीना ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि समाज में खासकर युवाओं में इस पुस्तक का नि:शुल्क वितरण इसलिए किया जा रहा है ताकि उन्हें अपनी समृद्ध विरासत की जानकारी हो और वे अपने पितरों को समुचित मान सम्मान दे सकें.कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि सनातन संस्कारों से जुड़ी बातों को नई पीढ़ी तक पुस्तक के माध्यम से पहुंचाने का यह अनुकरणीय उदाहरण है और इसके लिए पुस्तक के प्रकाशक कपिलदेव ठाकुर और रीना ठाकुर की मुक्तकंठ से सराहना की जानी चाहिए.