धर्मेंद्र कुमार
रांची: वर्ष 2000 का नवंबर महीना देश के सियासी मानचित्र पर तीन नवोदित राज्य सामने आये उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड. छत्तीसगढ़ और झारखंड कई मामलों में सामान्यताय रही हैं आदिवासी हितों के लिए दोनों अलग राज्य बने खनिज संपदा के मामले में देश में अग्रणी राज्यों के रूप में पहचान रखते हैं जल,जगंल और जमीन के नजरीए से भी दोनों राज्य एक जैसे हैं.
लेकिन समय के साथ झारखंड कई मामलों में आज भी छत्तीसगढ़ के मुकाबले कहीं पीछे है, जैम्स व ज्वेलरी के क्षेत्र में दोनों राज्य के समक्ष विकास की असीम संभावनाएं हैं जिनका दोहन करने में छत्तीसगढ़ की रफ्तार झारखंड के मुकाबले बीस है.
झारखंड के रांची, जमशेदपुर, धनबाद, हजारीबाग और देवघर समेत सभी क्षेत्रों में आभूषण कारोबार का बड़ा बाजार है. यहां कई गांवों में हजारों स्वर्णकार परिवार के लोग रहते है जो अपने पुश्तैनी कारीगरी को किसी भी तरह से जिंदा रखे हुए हैं. इसलिए अब स्वर्णकार समाज की नई पीढ़ी को बदलते जमाने के साथ जोड़े रखने के लिए ठोस पहल करने की आवश्यकता है. इस क्रम में जैम्स ज्वेलरी पाठ्यक्रम की पढ़ाई की व्यवस्था झारखंड में भी की जानी चाहिए. इस पाठ्यक्रम से झारखंड के स्वर्णकार समाज समेत हर वर्ग के युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर खुलेंगे. जैम्स व ज्वेलरी की पढ़ाई करने वाले छात्रों को एक साल में डिप्लोमा सर्टिफिकेट और तीन साल पढ़ाई के बाद डिग्री सर्टिफिकेट मिलता है.
झारखंड के अकूत खनिज संपदा है यहां की स्वर्णरेखा नदी में सदियों से लोग सोने की तलाश करते व उसे पाते रहे हैं यहां रत्नगर्भा धरती के अदंर भी स्वर्ण भंडार छिपा हुआ है एक दो जगह व्यसायिक स्तर पर स्वर्ण खनन हुआ भी है और कुछ नये स्थानों पर खनन का रास्ता साफ होना है.
ऐसे में यदि झारखंड में जैम्स एंड ज्वेलरी की पढ़ाई शुरू की जाती है तो यहां कटिंग, फिनिसिंग और पॉलिसिंग का काम भी बड़े पैमाने पर उभरेगा. जिनसे रोजागर के अच्छे अवसर मिलेंगे.
जैम्स-ज्वेलरी की पढ़ाई शुरू कराने में हम सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं रह सकते इस काम में ज्वैलर्स एसोसिएशन और आभूषण रत्न विक्रेता संघ को बड़ी भूमिका निभानी होगी. इनके द्वारा एक ठोस प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखना होगा और यह बताना होगा की झारखंड में इस पाठ्यक्रम को क्यों शुरू किया जाना जरूरी है और यहां के नौजवानों को इस पाठ्यक्रम से क्या क्या फायदे हो सकते है.
एक बात और छत्तीसगढ़ की तरह झारखंड में भी रत्न प्रशिक्षण प्रयोगशाला का संचालन किये जाने की आवश्यता है. इस तरह की प्रयोगशाला में रत्न आभूषण प्रमाणिकरण का प्रशिक्षण दिया जाता है. झारखंड के हजारों कारीगर खास कर युवा उद्यमी इसका लाभ उठाकर झारखंड के आर्थिक विकास में नया अध्याय जोड़ सकते है.(धर्मेंद्र कुमार सोनार संसार डॉट इन के प्रबंध संपादक हैं)