कपिलदेव ठाकुर
रांची : पिछले महीने झारखंड की राजधानी रांची में एक ज्वैलरी प्रदर्शनी में देश के कुछेक प्रमुख आभूषण निर्माताओं और शोरूम संचालकों से रुबरु होने का अवसर मिला. तीन दिन की इस प्रदर्शनी में इन लोगों से कई दौर की बातचीत हुई. इसी क्रम में नवीनतम जानकारी मिली कि गुजरात के राजकोट में विकसित देश के सबसे बड़े आभूषण क्लस्टर में कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) का उद्घाटन शीघ्र होगा. अब इस सीएफसी का लोकापर्ण हो गया है.
जानकर प्रसन्नता हुई कि राजकोट का यह ज्वैलरी क्लस्टर छह लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया करा रहा है. यहां काम करने वाले कारीगरों में अच्छी खासी संख्या वैसे आभूषण शिल्पियों की है जो झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और बिहार जैसे राज्यों के हैं. बंगाल के कारीगरों के भी वहां बड़ी संख्या है.
झारखंड,ओडिशा, छत्तीसगढ़ और बिहार समेत इस क्षेत्र के दूसरे राज्यों में भी आभूषण कारोबार की असीम संभावनाएं हैं. यहां मजबूत बाजार है. खरीददारों की अच्छी तादाद है और कारीगरों की भरमार है. फिर भी यहां पूरा क्षेत्र आज तक आभूषण निमार्ण क्लस्टर की ओर कदम नहीं बढ़ा सका है. अब इस क्षेत्र में गुजरात से प्रेरणा लेकर इस दिशा में आगे बढऩे की आवश्कता है.
फिलहाल हम आपको राजकोट ज्वैलरी क्लस्टर में शुरू की गयी सीएफसी सुविधा के बारे में बताना चाहते हैं ताकि इस इलाके लोगों को भी पूरी जानकारी मिल सके और कुछ नया करने का जज्बा पैदा हो सके.
राजकोट के सीएफसी नवीतन मशीनरी से लैस है. इसे आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) की परिकल्पना के अनुसार मूर्त रूप दिया गया है. इसका उद्देश्य यह है कि छोटे पैमाने की इकाइयों को अत्याधुनिक तकनीक मिल सके. ऐसा होने से उनका कौशल विकास होगा, उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी और उत्पादों में सुधार की प्रक्रिया तेज होगी.
यह सीएफसी लगभग 2300 वर्ग फुट क्षेत्र में फैला है यह पूरी तरह से केंद्रीय वाणिज्य उ?द्योग मंत्रालय द्वारा वित्त कोषित है. यहां अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी और तुर्की से मंगायी गयी आधुनिकतम मशीनें लगी हुई हैं. इन मशीनों से आभूषण फिनिसिंग में जबदस्त सुधार देखा गया है एक से बढ़कर एक डिजाइनों के आभूषण बन रहे हैं.
इस सीएफसी से ज्वैलरी डिजाइन (सीएडी), सीएएम (आरटीपी), लेजर सीएनसी, गोल्ड प्योरिटी एनालाइसिस (एक्सआरएफ), लेकर शोल्डरिंग, लेकर मार्किंग, रिफाइनिंग व वायर- पाइप फेसिंग जैसी सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है.
गुजरात का राजकोट शहर सोने-चांदी के आभूषणों के जरीए ही अपनी खास पहचान रखता है. यहां 15 हजार से अधिक आभूषण निर्माण इकाइयां हंै. एक अनुमान के अनुसार यहां हर महीने एक हजार टन चांदी की खपत है. यहां सोने आभूषण के कुल उत्पादन में से 30 प्रतिशत का निर्यात विभिन्न देशों में किया जाता है.
मोटे तौर पर कुछ ऐसा राजकोट का ज्वैलरी क्लस्टर में शुरू हुआ सीएफसी असीम संभावनाओं को जगाता हुआ.
तो क्यों नहीं झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ व बिहार जैसे ज्वैलरी क्लस्टर बनाने की पहल की जाये. आभूषण कारोबार से जुड़े संगठनों और सवर्णकार समाज की संस्थाओं को इस दिशा में पहल करनी चाहिए समय की यही मांग है.