नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले आज (शुक्रवार) से 11 दिन के विशेष अनुष्ठान शुरू करने की जानकारी देशवासियों के साथ साझा करते हुए कहा है कि वे राम मंदिर के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वाले अनगिनत व्यक्तित्वों की प्रेरणा, 500 साल के धैर्य,अनगिनत त्याग और तपस्या की घटनाएं, दानियों एवं बलिदानियों की गाथाएं, ऐसे असंख्य लोगों की स्मृतियां और 140 करोड़ देशवासियों की ऊर्जा लेकर गर्भगृह में ( 22 जनवरी को) प्रवेश करेंगे।
प्रधानमंत्री ने अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले 11 दिन के विशेष अनुष्ठान की जानकारी साझा करते हुए अपने अनुष्ठान के लिए देशवासियों से आशीर्वाद भी मांगा है। उन्होंने इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद,छत्रपति शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई और अपनी माता को भी याद किया।
मोदी ने विशेष अनुष्ठान को लेकर जारी किए गए अपने 10 मिनट 50 सेकंड के वीडियो में सबसे पहले कहा सियावर रामचंद्र की जय ! देशवासियों को राम-राम बोलते हुए वह कहते हैं कि,जीवन के कुछ क्षण, ईश्वरीय आशीर्वाद की वजह से ही यथार्थ में बदलते हैं।आज हम सभी भारतीयों के लिए, दुनिया भर में फैले रामभक्तों के लिए ऐसा ही पवित्र अवसर है।हर तरफ प्रभु श्रीराम की भक्ति का अद्भुत वातावरण!चारों दिशाओं में राम नाम की धुन, राम भजनों की अद्भुत सौन्दर्य माधुरी! हर किसी को इंतजार है 22 जनवरी का, उस ऐतिहासिक पवित्र पल का और अब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में केवल 11 दिन ही बचे हैं।
मेरा सौभाग्य है कि मुझे भी इस पुण्य अवसर का साक्षी बनने का अवसर मिल रहा है।ये मेरे लिए कल्पनातीत अनुभूतियों का समय है ।मैं भावुक हूँ,भाव-विह्वल हूं। मैं पहली बार जीवन में इस तरह के मनोभाव से गुजर रहा हूं, मैं एक अलग ही भाव-भक्ति की अनुभूति कर रहा हूं। मेरे अंतर्मन की ये भाव-यात्रा, मेरे लिए अभिव्यक्ति का नहीं, अनुभूति का अवसर है। चाहते हुए भी मैं इसकी गहनता, व्यापकता और तीव्रता को शब्दों में बांध नहीं पा रहा हूं। आप भी मेरी स्थिति समझ सकते हैं। जिस स्वप्न को अनेकों पीढ़ियों ने वर्षों तक एक संकल्प की तरह अपने हृदय में जिया, मुझे उसकी सिद्धि के समय उपस्थित होने का सौभाग्य मिला है। प्रभु ने मुझे सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है। ये एक बहुत बड़ी जिÞम्मेदारी है।
प्रधानमंत्री ने अपने विशेष अनुष्ठान की जानकारी साझा करते हुए आगे कहा कि जैसा हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है, हमें ईश्वर के यज्ञ के लिए,आराधना के लिए, स्वयं में भी दैवीय चेतना जाग्रत करनी होती है। इसके लिए शास्त्रों में व्रत और कठोर नियम बताए गए हैं, जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा से पहले पालन करना होता है। इसलिए, आध्यात्मिक यात्रा की कुछ तपस्वी आत्माओं और महापुरुषों से मुझे जो मार्गदर्शन मिला है, उन्होंने जो यम-नियम सुझाए हैं, उसके अनुसार मैं आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं।
इस पवित्र अवसर पर मैं परमात्मा के श्रीचरणों में प्रार्थना करता हूं, ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों का पुण्य स्मरण करता हूं और जनता-जनार्दन, जो ईश्वर का रूप है, उनसे प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे आशीर्वाद दें, ताकि मन से, वचन से, कर्म से, मेरी तरफ से कोई कमी ना रहे।