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Thursday, December 5, 2024
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    नीतीश के इस मिशन पर लग सकता है ग्रहण, जानें क्या है मामला


    पटना। बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू प्रमुख नेता नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होने के बाद जिस तरह से व्यापक विपक्ष को एकजुट करने के मिशन की शुरूआत की थी, उस पर ग्रहण लगता दिख रहा है।

    नीतीश कुमार ने जिस तरह इंडिया गठबंधन में शामिल भाकपा की पटना में आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए गठबंधन में कोई काम नहीं होने को लेकर कांग्रेस पर ठीकरा फोड़ा उससे इस बात की पुष्टि हो गई है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

    कहा यह भी जा रहा है नीतीश की राजनीति हमेशा से ‘दबाव’ की रही है। हाल के दिनों में देखें तो उन्होंने अपने ही सहयोगी दल राजद को भी विकास के मुद्दे पर आईना दिखाया। इससे पहले भी जब वे भाजपा के साथ थे, तब भी वे सहयोगी दलों पर दबाव की राजनीति करते रहे थे।

    नीतीश कांग्रेस और राजद के रवैए से नाराज हैं। नीतीश को इसका साफ संकेत मिल चुका है कि कांग्रेस जिस तरह राजद के साथ मजबूती और विश्वास के साथ खड़ी है, उतनी जदयू पर विश्वास नहीं कर रही है। ऐसे में नीतीश आशंकित भी हैं।

    विपक्षी दल के गठबंधन की पहली बैठक जब पटना में हुई थी, तब जिस तरह नीतीश कुमार के संयोजक बनने की चर्चा हुई थी, उसके बाद के बैठकों में इस चर्चा पर न केवल विराम लग गया बल्कि गठबंधन के ड्राइविंग सीट पर कांग्रेस बैठती नजर आई।

    कई मौकों पर नीतीश कुमार कह चुके हैं कि कांग्रेस के बिना विपक्षी गठबंधन की कल्पना नहीं की जा सकती। माना यह भी जाता है कि नीतीश के कारण ही कांग्रेस से नाराज दल भी इस गठबंधन में साथ आए थे। लेकिन समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव अब कांग्रेस से सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर कर दी।

    माना जा रहा है कि सीट बंटवारे की जल्द चर्चा नहीं होने को लेकर नीतीश कुमार कांग्रेस से नाराज हैं। कहा यह भी जा रहा है कि क्षेत्रीय दल कांग्रेस को अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है।

    बिहार की राजनीति के जानकार अजय कुमार कहते हैं कि दिल्ली, बंगाल केरल,और यूपी में इंडिया के घटक दलों को कांग्रेस के खतरनाक रवैये से असहज होना स्वभाविक है। क्षेत्रीय दल अपनी मजबूत सियासी जमीन पर कांग्रेस को ज्यादा स्पेस देने से हिचकिचा रहे हैं। सभी क्षेत्रीय दल सीटों के बंटवारे को लेकर जल्द बातचीत शुरू करना चाहते हैं।

    कुमार यह भी मानते हैं कि इंडिया गठबंधन में जल्द सबकुछ ठीक नहीं हुआ तो नीतीश कुमार अन्य विकल्प की तलाश में जुट सकते हैं।

    वैसे, नीतीश की कांग्रेस से नाराजगी सार्वजनिक तौर पर व्यक्त करने के बाद राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शुक्रवार की शाम मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर नीतीश कुमार से मुलाकात की है। हालांकि इन नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई इसका पता नहीं चल सका है।

    इधर, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर साफ कहते है कि इस गठबंधन में नीतीश कुमार की सीमित भूमिका है। लोग नीतीश के संयोजक बनने की बात करते हैं, लेकिन सवाल है कि कोई क्यों उन्हें बनाएगा। इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ा दल कांग्रेस है, दूसरे नंबर पर टीएमसी है, जदयू की क्या ताकत है, जो नीतीश कुमार इसके संयोजक बनेंगे। यह भ्रम फैलाया जा रहा है।

    उन्होंने साफ लहजे में कहा कि अगर इस गठबंधन में नीतीश रहेंगे तो उनकी एक बहुत सीमित भूमिका होगी। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में महागठबंधन बनना प्रदेश की घटना है, उसका राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव नहीं।

    वैसे, राजनीतिक दलों की मानें तो एनडीए गठबंधन में शामिल पार्टियों के नेता कहते हैं कि इंडिया गठबंधन कभी सफल नहीं होगा, जबकि इंडिया गठबंधन में शामिल नेताओं का दावा है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक है।

    भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने दावा किया कि तीन दिसंबर को पांच राज्यों के चुनाव के बाद सीट बंटवारे को लेकर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने सकारात्मक बात कही है।

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