पटना। बिहार विधानसभा में नीतीश सरकार ने आज जातीय जनगणना, आर्थिक और शैक्षणिक सर्वे भी पेश किया। सर्वे में सवर्णों में 25.9 प्रतिशत परिवार गरीब हैं, उनमें भूमिहार और ब्राह्मण की तादाद ज्यादा है। 25.3 फीसदी ब्राह्मण और 25.32 फीसदी भूमिहार आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रही है। बिहार के 24.89 फीसदी राजपूत और 13.83 प्रतिशत कायस्थ परिवार गरीब है।
33.16 फीसदी ओबीसी गरीब : ओबीसी कैटिगरी के 33.16 प्रतिशत परिवार गरीब है। जातीय जनगणना के मुताबिक, बिहार में ओबीसी की आबादी 27 प्रतिशत है। अति पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी के 33.58 परिवार गरीब हैं। अति पिछड़ा वर्ग ऐसी कैटिगरी है, जिनके पास खेती योग्य जमीन नहीं है। अनुसूचित जातियों में 42.70 प्रतिशत परिवार गरीब है। अन्य जातियों में 23.72 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा के नीचे हैं।
बिहार में कास्ट सर्वे के बाद शैक्षणिक सर्वे रिपोर्ट भी सरकार ने विधानसभा में पेश कर दी। इसमें 22.67 फीसदी आबादी ने कक्षा 1 से 5 तक की शिक्षा हासिल की है। 14.33 फीसदी आबादी ने कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा हासिल की। 14.71 फीसदी आबादी कक्षा 9 से 10 तक की पढ़ाई की है। 9.19 फीसदी आबादी कक्षा 11 से 12 तक पढ़ाई की है। ग्रेजुएशन सिर्फ 7 फीसदी आबादी ने की है।
नीतीश सरकार ने जातीय आर्थिक सर्वे रिपोर्ट विधानसभा में पेश की है। इसमें जातियों की आर्थिक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। पहले से तय माना जा रहा था कि नीतीश कुमार सरकार ने जातीय आर्थिक सर्वे रिपोर्ट पेश करेगी। मंगलवार को सदन की कार्यवाही 11 बजे शुरू होते ही हंगामा होने लगा। सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित की गई । फिर 12 बजे हंगामे के बीच सरकार ने जातीय जनगणना के बाद आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट स्थिति की जानकारी दी है।