रांची। ईडी के घेरे आए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का साथ विधायकों ने छोड़ना शुरू कर दिया है। एनसीपी (अजीत पवार गुट) के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश सिंह ने कहा है कि हुसैनाबाद जिला घोषित नहीं हुआ तो वह 31 अक्तूबर के बाद सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे। कमलेश सिंह ने कहा कि उन्होंने पहले ही इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था, अल्टीमेटम भी दिया था। लेकिन अब वह एनडीए की अजीत पवार गुट के साथ हैं, जो एनडीए का हिस्सा है।
ऐसे में 31 अक्तूबर के बाद वह समर्थन वापसी की घोषणा करेंगे। एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सूर्या सिंह ने कहा कि हुसैनाबाद को जिला बनाने की मांग हो या बालू को लेकर आवाज उठाने की सरकार से कोई उम्मीद नहीं है, ऐसे में अब सरकार में बने रहने का कोई मतलब नहीं है। मौके पर कमलेश सिंह ने कहा कि 2019 विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने मुद्दों पर आधारित समर्थन सरकार को दिया था। लेकिन सरकार ने कोई वादे पूरे नहीं किए।
ऐसे में यूपीए या इंडिया गठबंधन में रहने का कोई औचित्य नहीं है। उनके खिलाफ भी झारखंड में दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता का मामला नहीं बनता, क्योंकि वह राज्य में अकेले एनसीपी विधायक हैं। कमलेश सिंह ने कहा कि अजीत पवार को महाराष्ट्र, नार्थ ईस्ट व झारखंड के कुल 50 विधायकों का समर्थन है, ऐसे में असली एनसीपी वही है।
विधायक कमलेश कुमार सिंह ने कहा कि बालू को लेकर लगातार दो वर्षो से राज्य में भवन निर्माण व विकास कार्य प्रभावित है। सात बार विधानसभा में ध्यान आकृष्ट कराने के बावजूद सरकार मूक दर्शक बनी है। सरकार अपराधी और पुलिस की गठजोड़ से बालू का अवैध कारोबार फल फूल रहा है। यह जनता के साथ बड़ा धोखा है। जिसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि झारखंड के बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं करने के पीछे बड़ा खेल चल रहा है। बालू घाटों की बंदोबस्ती होने से सरकार को राजस्व भी मिलता और आम लोगों को बालू आसानी से सस्ती दर पर उपलब्ध होता। सरकार के मुखिया बालू की कालाबाजारी करा कर अपनी जेब भरने में लगे हैं। वहीं राज्य में भवन निर्माण, सड़क, पीएम आवास समेत सभी विकास के कार्य ठप्प हैं, या कालाबाजारी में ऊंचे दाम पर किया जा रहा है। पीएम आवास के लाभुकों को बालू नहीं मिल रहा है। वह लाचार हैं। निर्माण नहीं करने की स्थिति में अधिकारी एफआईआर दर्ज करने की धमकी दे रहे हैं। सुनवाई नहीं होने की स्थिति में हुसैनाबाद में विशाल आंदोलन किसानों, ट्रैक्टर मालिकों व आम लोगों ने किया था। उन्होंने कहा कि याचना नहीं अब रन होगा, संघर्ष बड़ा भीषण होगा।
बिना सोचे समझे नया सर्वे लागू किया
कमलेश सिंह ने कहा कि पलामू प्रमंडल में बिना सोचे समझे नए सर्वे को लागू कर दिया गया। नए सर्वे में बड़े पैमाने पर त्रुटि की वजह आए दिन मार पीट खून खराबा होता है। इस संबंध में विधानसभा ने मजबूती के साथ 19 मार्च 2021, 8 अक्तूबर 2021 के अलावा अनेक बार उठाया। सरकार मानती है की सर्वे में त्रुटि की वजह परेशानी हो रही है। मगर हमेशा कर्मचारियों की कमी का रोना रोती है।