नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मनी लांड्रिंग मामले में आरोपी निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की जमानत याचिका पर सुनवाई एक दिसंबर तक के लिए टाल दी। पूजा सिंघल की दीपावली और छठ जेल में ही बितेगी।
न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने यह गौर करने के बाद मामले की सुनवाई स्थगित कर दी कि सिंघल के अधीन काम करने वाले तीन महत्वपूर्ण गवाहों से 23 नवंबर को पूछताछ की जानी है।
पीठ ने सुनवाई अदालत से यह प्रयास करने को कहा कि उनकी गवाही उसी दिन पूरी हो जाए। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की निलंबित अधिकारी सिंघल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि वह सिंघल की मेडिकल रिपोर्ट के मद्देनजर इस स्तर पर अंतरिम जमानत पर जोर नहीं दे रहे हैं।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने पीठ को बताया कि सिंघल की हालत स्थिर है। सर्वोच्च अदालत ने इससे पहले सिंघल से पूछा था कि अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी निजता भंग करने का आरोप क्या उन्हें जमानत देने का आधार हो सकता है।
लूथरा ने अदालत से कहा था कि जब वह रांची के एक अस्पताल में इलाज करा रही थीं, तब उनके कमरे की तस्वीरें मीडिया में सार्वनजिक होने होने से उनकी निजता भंग हुई थी।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा था कि सिंघल के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं और अदालत इस समय उन्हें जमानत देने पर विचार नहीं कर सकती । सर्वोच्च अदालत ने 10 फरवरी को सिंघल को दो महीने की अंतरिम जमानत दी थी ताकि वह अपनी बीमार बेटी की देखभाल कर सकें।
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच किए जा रहे धनशोधन मामले के तहत उनसे जुड़ी संपत्ति पर छापे मारे जाने के बाद सिंघल 11 मई, 2022 से हिरासत में हैं। यह मामला ग्रामीण रोजगार संबंधी मनरेगा योजना के कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है।