Tuesday, February 11, 2025
More
    No menu items!

    Latest Posts

    पति पर इतना बोझ डालना उचित नहीं कि शादी उसके लिए बोझ बन जाए, हाई कोर्ट ने इस मामले में की अहम टिप्पणी

    रांची। हाई कोर्ट ने गुरुवार को पारिवारिक विवाद से जुड़े एक मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि पत्नी को भरण-पोषण प्रदान करना पति का नैतिक दायित्व है लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि वैवाहिक जीवन शैली बनी रहे, इसके लिए पति पर इस हद तक बोझ डालना उचित नहीं कि शादी उसके लिए सजा बन जाए।

    दरअसल, धनबाद फैमिली कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी।इसपर हाई कोर्ट के जस्टिस सुभाष चांद की कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 2018 में उसकी शादी हुई। शादी के कुछ दिनों बाद ही उसकी पत्नी ने दहेज और घरेलू हिंसा का आरोप लगाया और वैवाहिक घर छोड़कर माता-पिता के साथ रहने लगी।

    पत्नी ने आरोप लगाया था कि याचिकाकर्ता एक आर्थिक रूप से समृद्ध व्यवसायी, कोयला और कोक विनिर्माण संयंत्रों सहित कई स्रोतों से पर्याप्त आय अर्जित करता है और उसकी कुल मासिक आय 12.5 लाख रुपये होने का अनुमान है। इसके बाद धनबाद फैमिली कोर्ट ने यह निर्देश दिया कि पति पत्नी को 40 हजार रुपये मेंटेनेंस (भरण-पोषण) दे।

    धनबाद कोर्ट के इस फैसले को बदलते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया कि फैमिली कोर्ट का निर्णय गलत निष्कर्षों पर आधारित था और तय की गयी भरण-पोषण की राशि अनुचित थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 25 हजार रुपये मेंटेनेंस (भरण-पोषण ) के तौर पर देने का निर्देश दिया है।

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Latest Posts

    Don't Miss