लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खां को बड़ा झटका। योगी कैबिनेट ने जेल में बंद सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां के संरक्षण वाले मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को वर्ष 2012 में पट्टे पर दी गई करोड़ों रुपये की 41 हजार वर्ग फुट से ज्यादा जमीन को शर्तों का उल्लंघन करने के आरोप में वापस लेने के प्रस्ताव पर मंगलवार को मुहर लगा दी।
राज्य सरकार का यह फैसला जाली जन्म प्रमाणपत्र मामले में इस वक्त जेल में बंद आजम खां के लिए एक और बड़ा झटका है।
प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए इस अहम फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि रामपुर में मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को पट्टे पर दी गई 41,181 वर्ग फुट जमीन जिन शर्तों के आधार पर आवंटित की गई थी, उनका उल्लंघन किया गया। खास तौर से यह जमीन विश्वविद्यालय के विस्तार के लिए दी गई थी लेकिन उस पर एक राजनीतिक दल (सपा) का कार्यालय बना दिया गया, इसलिए मंत्रिमण्डल ने वह भूमि अब वापस लिए जाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में यह भूमि मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को 100 रुपये वार्षिक की दर से 30 वर्ष के लिए पट्टे पर दी गई थी। अब मुर्तजा उच्चतर माध्यमिक स्कूल का भवन और जमीन वापस लेते हुए इसका स्वामित्व माध्यमिक शिक्षा विभाग को देने का प्रस्ताव मंत्रिमंडल ने मंजूर कर लिया है।
सूत्रों के मुताबिक, वर्ष 2012 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री आजम खां ने रामपुर के तोपखाना मार्ग स्थित पुराने मुर्तजा स्कूल भवन और जमीन को जौहर ट्रस्ट के नाम 100 रुपये प्रतिवर्ष की दर पर 30 वर्षों के लिए आवंटित करा लिया था।
आरोप है कि इस जमीन को मौलाना मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के विस्तार के लिए पट्टे पर दिया गया था, लेकिन इस पर आजम खां का कार्यालय दारूल अवाम बनाया गया, जहां से सपा की स्थानीय राजनीतिक गतिविधियों का संचालन होता था। इसके अलावा इसी जमीन के एक हिस्से में रामपुर पब्लिक स्कूल स्थापित किया गया। मंत्रिमण्डल के इस फैसले के बाद दोनों भवनों को खाली कराया जाएगा।
रामपुर से भाजपा के मौजूदा विधायक आकाश सक्सेना ने जमीन आवंटन की शर्तों का उल्लंघन किए जाने की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की थी।
सक्सेना ने बताया कि मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के पट्टा विलेख के बिंदु संख्या-7 में साफ तौर पर लिखा है कि आवंटित जमीन पर एक वर्ष के अंदर विश्वविद्यालय के संचालन के लिए निर्माण कराया जाएगा। इसके अलावा किसी अन्य काम के लिए उस भूमि का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अगर ऐसा होता है, तो वह पट्टा निरस्त हो जाएगा। उन्होंने इस बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत की थी।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ ने एक समिति से इसकी जांच कराई थी। उन्होंने कहा कि जांच में सभी आरोप सही पाए गए और इसके बाद जिलाधिकारी ने पट्टा निरस्त करने की सिफारिश की थी।
सक्सेना ने कहा कि आजम खां के संरक्षण वाले जौहर ट्रस्ट को दी गई जमीन की कीमत करीब 100 करोड़ रुपये है, जिसे तत्कालीन सपा सरकार ने महज 100 रुपये सालाना पर खां के ट्रस्ट को आवंटित कर दिया था।
मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष और मौलाना मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आजम खां अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के जाली जन्म प्रमाणपत्र के मामले में सात साल की सजा के तहत इस वक्त सीतापुर जेल में बंद हैं।