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Friday, December 6, 2024
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    सदियों दिलों में गूंजते रहेंगे कपिलदेव ठाकुर, स्वर्णकार समाज के लिए हमेशा बने रहेंगे प्रेरणास्त्रोत

    प्रदीप वर्मा

    रांची : जीवन में कभी-कभी ऐसी स्थिति-परिस्थिति आ जाती है जिसके बारे में इंसान कल्पना भी नहीं किए रहता है. अपने स्वर्णकार समाज के सच्चे हितैषी और हमेशा जरूरतमंदों की मदद को आगे रहने वाले भाई कपिल देव ठाकुर जी को हमें श्रद्धांजलि देनी पड़ेगी, क्या किसी ने ऐसा सोचा था क्या?
    लेकिन होनी को कौन टाल सकता है?

    कपिल देव जी से अंतिम मुलाकात गत वर्ष दिसंबर महीने में अपने एक पारिवारिक समारोह में हुई थी. अन्य मित्रों के वे पधारे थे. खुले दिलवाला उनका व्यक्तित्व चेहरे पर सजीव दिखता था. इस आलेख में उनकी जो तस्वीर है, वह उसी समारोह की है जिसके जरिए कपिलदेव बाबू हमेशा यादों में बसे रहेंगे.
    हां. उनके विचार व सपने हम जैसों को हमेशा समाज के लिए कुछ करने को प्रेरित करते रहेंगे. कपिल देव बाबू का सतत प्रयास रहता था कि स्वर्णकार समाज समेत सर्व समाज का भला हो. लेकिन वे हमेशा चिंतन-मनन में जुटे रहते थे कि समाज के लोगों के विकास के लिए कैसे पहल की जाए? सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे दिलाया जाए? अपने समाज के भीतर व्याप्त कुरीतियों को भी समाप्त करने की पहल कैसे हो?
    कपिलदेव बाबू कारोबारी थे. लेकिन मन व मिजाज से सच्चे समाजसेवी. वे पर्दे के पीछे रहकर समाज का भला करना चाहते थे. समाज का नेता बनने को लेकर उनके मन में कोई चाहत नहीं थी लेकिन यह जरूर चाहते थे कि स्वर्णकार समाज से ऐसे नेता जरूर निकलें जो सियासत में स्वर्णकार समाज का वाजिब हक पाने के लिए दमदार तरीके से आवाज बुलंद कर सकें.

    वे चाहते थे कि स्वर्णकार समाज के प्रबुद्ध लोग इस दिशा में पहल करें. इस उदाहरण को देखकर समाज खुद-ब-खुद इसका अनुसरण करने आगे आएगा.
    दो-तीन बार उनकी पहल पर सामाजिक स्तर पर जुटान हुआ. प्रबुद्ध लोग जुटे. झारखंड से स्वर्णकार समाज की एकता का नया संदेश पूरे देश को देने का खाका बना. इन बैठकों में शामिल तमाम लोग इस बात पर सहमत थे कि राजनीति में खासकर सत्ता में वाजिब भागीदारी लिए बगैर बात बनने वाली नहीं. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि समाज के भीतर शिक्षा का प्रचार-प्रसार भी मजबूती से हो. बिना शिक्षा के न तो तरक्की होगी और न ही समाज की एकता को लेकर मानसिकता बनेगी. सत्ता या सियासत में भागीदारी हासिल करने में भी शिक्षा कारगर हथियार बनेगी.
    इस दिशा में आगे बढऩे को हमलोग सोच ही रहे थे कि समय का चक्र ऐसा चला कि कोरोना महामारी का दौर शुरू हो गया. करीब तीन साल तक पूरा पूरा देश किस स्थिति में रहा, इससे हर कोई वाकिफ है.
    कुछ सप्ताह पहले फिर से सामाजिक जागरुकता के लिए आगे बढऩे की बात हुई थी. राय बनी थी कि 2024 के चुनाव के समय समाज को सही सियासी भागीदारी दिलाने के लिए अभी से काम हो. रांची में समाज के प्रबुद्ध लोगों को नए सिरे से जुटान कराई जाए और फिर सुदूर इलाकों तक हलचल पैदा करने की कवायद हो.
    कपिलदेव बाबू ने समाज को जागरुक करने के लिए मीडिया के महत्व को भी वख्रूबी भांप लिया था. स्वर्णकार समाज की ऑनलाइन पत्रिका सोनार संसार डॉट इन को लांच करने के पीछे उनका यह भी एक मकसद था. जिसने भी मीडिया से जुड़ा उनका विचार जाना. सबने उसकी सराहना की.
    2023 की शुरुआत में पता चला कि कपिल देव बाबू अचानक बीमार पड़ गए हैं . पहले लगा कि सामान्य बीमारी होगी. जल्दी ठीक हो जाएंगे पर ऐसा हो नहीं सका.
    जब उनके नहीं रहने की सूचना मिली तो ऐसा लगा मानो भरी दोपहरी में घनघोर अंधेरा छा गया हो. कितनी वेदना हुई. कितना कष्ट हुआ, कितना आघात लगा और समाज के लिए सामूहिक रूप से कुछ करने के सपने को कैसा झटका लगा, इसे बयां करने के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं.
    अंत में हम सिर्फ यही कहना चाहेंगे कि कपिल देव बाबू के सपनों के अनुरूप अपने समाज के विकास के लिए हम सभी को कुछ करना चाहिए. हम जितना हो सके उतना करने का प्रयास करें. पूरा विश्वास है कि हमारा यही छोटा प्रयास एक दिन विशाल बट वृक्ष के रूप में समाज के सामने होगा. कपिलदेव बाबू जैसी पुण्यात्मा हमारे इस मिशन में पथ प्रदर्शक काम करेगी. कपिदेल बाबू हमारे दिलों में रहते हुए ऐसा करने के लिए हमें प्रेरित करते रहें.

    अपने प्रिय कपिलदेव बाबू को दिवंगत आत्मा को सादर नमन करते हुए हम यहीं कहना चाहेंगे कि
    ऐ मौत आकर खामोश कर गयी तू.
    सदियों दिलों में हम गूंजते रहेंगे.

    सादन नमन. ऊं शांति

    प्रदीप वर्मा

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