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Thursday, November 21, 2024
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    जानिए किस तारीख को तिरंगा को देश ने किया अंगीकार, क्या हैं रोचक पहलू

    धर्मेंद्र कुमार

    रांची: आज 13 से 15 अगस्त तक पूरे देश में हर घर तिरंगा अभियान चलाया जाएगा. आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में इसका आगाज किया गया है. इस अभियान का उद्देश्य लोगों के दिलों में देश भक्ति की भावना जगाना और जन-भागीदारी की भावना से आजादी का अमृत महोत्सव मनाना है.  
    तो आइए जानें अपने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के बारे में जिसे पूरा देश  13 से 15  अगस्त हर घर तिरंगा अभियान के तहत लहराने जा रहा है.
    अप्रैल 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने एक भारतीय ध्वज की आवश्यकता महसूस की. गांधी जी ने पिंगली वेंकय्या को चरखे के साथ एक ध्वज डिजाइन करने को कहा.  इस ध्वज में लाल और हरे रंग के साथ सफेद रंग को जोड़ा गया. इस ध्वज के केन्द्र में चरखा बनाया गया.  
    कराची में वर्ष 1931 में हुए कांग्रेस अधिवेशन में पिंगली वेंकय्या द्वारा तीन रंगों का ध्वज तैयार किया गया. इस ध्वज को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया. इसमें लाल रंग बलिदान का, श्वेत रंग पवित्रता का और हरा रंग आशा का प्रतीक माना गया. देश की प्रगति का प्रतीक चरखा इसके केन्द्र में जोड़ा गया.
    22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने वर्तमान स्वरूप में स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को अपनाया.  पिंगली वेंकैया इस राष्ट्र वज के रचनाकार थे. उनका भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी उनका अतुलनीय योगदान रहा.  

    वैसे  माना जाता है कि भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में पारसी बागान स्क्वायर ग्रीन पार्क में फहराया गया था. इसमें लाल, पीले और हरे रंग की तीन पट्टियां थीं, जिनके बीच में वंदे-मातरम् लिखा था.
    मैडम भीकाजी कामा और उनके सहयोगी क्रांतिकारियों ने अगस्त 1907 में, जर्मनी के शहर स्टुटगार्ट में दूसरी सोशलिस्ट कांग्रेस के अधिवेशन स्थल पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया. यह विदेशी भूमि पर फहराया जाने वाला पहला भारतीय ध्वज था। इसे ‘भारत की स्वतंत्रता का ध्वज’ नाम दिया गया.

     तिरंगे में किस रंग का क्या है मतलब
    इसमें सबसे ऊपर  केसरिया रंग होता है जो शक्ति और साहस का प्रतीक है. इसके मध्य में सफेद रंग है, जो शांति और सत्य का प्रतीक है. सबसे नीचे हरा रंग है, जो भूमि की उर्वरता, विकास और शुभता दर्शित करता है. ध्वज के वर्तमान रूप के केन्द्र में 24 तीलियों वाला चक्र हैय इस चक्र का उद्देश्य यह दिखाना है कि गति में ही जीवन है. हमारे राष्ट्रीय ध्वज में लंबाई चौड़ाई का अनुपात &: 2 है. अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं.
    क्या रात में फहराया जा सकता है तिरंगा
    नए प्रावधान के तहत अब देश के नागरिकों द्वारा झंडा दिन के साथ रात में भी फहराया जा सकता है. सूर्यास्त के समय झंडा उतारना अनिवार्य नहीं है. पहले, मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की अनुमति नहीं थी. लेकिन दिसंबर 2021 में इसकी अनुमति दे दी गई. अब हाथ या मशीन से बना हुआ कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/ रेशमी खादी से बना तिरंगा भी अपने घर पर फहराया जा सकता है.
    फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 (भारतीय ध्वज संहिता) नाम के एक कानून में तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं.  इनका उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है.  एक नियम यह है कि झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए. तिरंगा कभी भी फटा या मैला-कुचैला नहीं फहराया जाना चाहिए.
     झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं. झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है.
    साल 2002 से पहले राष्ट्रीय ध्वज को आम लोग सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही फहरा सकते थे लेकिन साल 2002 में इंडियन फ्लैग कोड में परिवर्तन किया गया जिसके तहत कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडे को फहरा सकता है.  20. झंडा अगर फट जाए या फिर मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से नष्ट करना चाहिए. 

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