यश ठाकुर


आज हम आपको हीरे की दुनिया में हो रहे बदलाव से अवगत कराने जा रहे कि कैसे आभूषण उद्योग के सामने लैब में बने हीरे नया विकल्प बनते जा रहे हैं.
हर कोई जानता है कि आभूषण व रत्न कारोबार की दुनिया में सदियों से हीरा का आकर्षण रहा है. पृथ्वी के अंदर 150 किलोमीटर की गहराई में भारी दबाव और उच्च तापमान में कार्बन के अणु ऐसे जुड़ते हैं कि चमकीला हीरा बन जाता है. लेकिन यही हीरा अब आभूषण कारोबार जगत के सामने नई चुनौती पेश करने जा रहा है. खुद से नहीं बल्कि अपने स्वनाम वाले उस हीरे से जिनका निर्माण लैब में होगा. फैक्ट्रियों में हीरे बनाए जाने लगेंगे.
हीरे आभूषण उद्योग की जान व शान
आभूषण कारोबार में हीरे की अहमियत की बात ही मत पूछिए. ये इसलिए बेशकीमती होते हैं क्योंकि पृथ्वी के भीतर इनके निर्माण की प्रक्रिया बहुत जटिल होती है और इनका पता लगाना और निकालना भी आसान नहीं होता. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अब हीरे को पृथ्वी की सतह से ऊपर लैब में बनाने की तैयारी भी प्रभावी होने जा रही. वैज्ञानिक लैब में हीरे बनाने की हालत में हैं. वैसे यह तकनीक 50 और 60 के दशक से मौजूद है. लेकिन कोई चार पांच साल पहले इस तकनीक में प्रगति दिखनी शुरू हुई और लैब में हीरों का उत्पादन शुरू हुआ. अब इनकी गुणवत्ता इतनी अच्छी होने लगी है जिससे उनका इस्तेमाल इस्तेमाल गहनों में किया जा सकता है.
लैब में इस तरह बनते हैं हीरे
हीरे के बीज को बिस्किट की तरह प्रोप्राइटरी चैंबर में रखा जाता है. चैंबर में टेम्परेचर को 13 से 15 सौ डिग्री सेंटीग्रेड तक ले जाने पर मीथेन गैस स्प्लिट कर जाती है और उससे निकला कार्बन एक दूसरे से जुडऩे लगता है. ये कार्बन चैंबर में रखे बीज के साथ कनेक्ट करने लगता है और परत दर परत डायमंड बनने लगता है. हीरे कार्बन से बने होते हैं, लेकिन उसके एटम एक टाइट क्रिस्टल स्ट्रक्चर में बंधे होते हैं. इसलिए ये धरती पर सबसे सख्त और सबसे ज्यादा संवाहक तत्व होता है.
हीरा ही हीरे को काटता है
हीरा इतना सख्त होता है कि कहते हैं कि हीरा ही हीरे को काटता है. और ये बात इसे इंजीनियरों के लिए खास बनाती है. ये स्क्रीन को ज्यादा रेसिस्टेंट, सोलर पैनलों को ज्यादा कुशल, लेजर को ज्यादा ताकतवर, हार्ड ड्राइव को और छोटा बना सकता है और साथ ही ज्यादा बेहतर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाने में भी काम आ सकता है.
अच्छे सेमी कंडक्टरों को हाइ वोल्टेज और तापमान को रोकने की हालत में होना चाहिए. आजकल वे ज्यादातर सिलिकन से बनाए जाते हैं. लेकिन डायमंड की थर्मल कंडक्टीविटी 14 गुना और इलेक्ट्रिक रेसिस्टेंस 30 गुना ज्यादा है.
जानकारों का कहना है कि इसलिए भविष्य हीरे का इस्तेमाल हाइटेक उद्योग में बढ़ेगा. अनालिस्ट पॉल सिमनिस्की कहते हैं, इस समय हीरे हायर टेक एप्लिकेशन उद्योग का बहुत बहुत छोटा हिस्सा हैं. हम आने वाले दिनों में रोजमर्रा में दिखने वाली और ज्यादा चीजों में डायमंड का इस्तेमाल देखेंगे. अच्छी बात ये है कि ये हीरे गंदी खानों से नहीं बल्कि साफ सुथरे लैब से आएंगे. भले ही डायमंड की हाइटेक एप्लिकेशन विकसित होने में थोड़ा वक्त लगे, पर ये जरूर है कि हीरों का भविष्य उनके ही जैसा चमकीला है.
( यश ठाकुर ने आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है)