कपिल देव ठाकुर
रांची: शुक्रवार 29 जुलाई को रांची में एक जेवर व्यवसायी को गोली मारकर अपराधियों ने बैग लूट लिया. इस घटना से किसी को भी भयभीत होना स्वभाविक है. आभूषण कारोबारी भी भयभीत हैं. समाज के लोग भी दहशत में हैं.
इस विकट स्थिति में आभूषण कारोबारी फोन पर या व्हाट्सएप संदेश के जरिए या सोशल मीडिया पर अपनी राय, चिंता और सुझावों को साझा कर रहे हैं. सोनार संसार डॉट इन के पास एक सजग आभूषण कारोबारी की प्रतिक्रिया कई लोगों से होते हुए पहुंची.
इस संदेश में लिखा गया था : स्वर्णकार समाज में कुछ संस्था या संगठन साल में एक-दो शादी-विवाह का सामूहिक आयोजन करवा देंगे या फिर एक्जीविशन लगवा देंगे. यही काम है. ज्वेलर्स कारोबारियों के साथ ज्वेलर्स कारोबारियों के साथ आए दिन हो रही आपराधिक घटनाओं से इन्हें कोई मतलब नहीं है.
पहली नजर में लगेगा कि समाजसेवा या कारोबार के अभिनव प्रयोग करने वालों से जलन रखने वाले किसी इंसान की यह भड़ास है. लेकिन गौर से विचार कीजिएगा तो लगेगा बंदे के इस कथन में तो दम है. क्योंकि शायद ही कोई सप्ताह ऐसा रह रहा जब झारखंड या किसी अन्य राज्य में आभूषण कारोबारी अपराधियों का निशाना नहीं बन रहे हैं. लेकिन आभूषण कारोबारियों के बीच से ही अपनी समाज सेवा या अभिनव कारोबार को नई दिशा देने के लिए संसाधन लेने या जुटाने वाले लोगों या संगठनों की छुपी कई सवालों को जन्म देती है. सामूहिक शादी-विवाह में आभूषण कारोबारी भी शामिल होते हैं या उनकी सहभागिता रहती है. समाज के इस कार्य को जश्न का अंदाज दिलाने में इनकी भी भूमिका रहती है. तो जब आभूषण कारोबारियों पर लूट, छिनतई या चोरी जैसी घटनाएं भय और दहशत के रूप में खौफ का प्रहार कर रही हैं तो फिर इन्हें अकेला छोड़ देना कहां से उचित है. सामूहिक शादी-विवाह के आयोजन में जैसी तत्परता या सक्रियता दिखाई जाती वैसी पहल कारोबारियों के बीच उत्पन्न भय को दूर करने के लिए क्यों नहीं की जाती? सामूहिक शादी-विवाह के कार्यकर्ता किन कारणों से चुप्पी साधे रह जाते हैं, आभूषण कारोबारियों को यह बात समझ में नहीं आती. इसपर कौन गौर करेगा?
सामूहिक शादी-विवाह के कराने के साथ कारोबारियों को भय से उबारने के लिए पहल होगी भी या नहीं? कौन और कब बताएगा?
इसी तरह अगर कोई आभूषण कारोबार से जुड़ा एक्जीविशन लगता है तो उसके केंद्र में आभूषण कारोबारी ही होते हैं. एक्जीविशन लगाने वाले अधिकांश आयोजकों का संपर्क सरकार या शासन-प्रशासन में प्रभावशाली तबके तक होता है. क्योंकि एक्जीविशन के उद्घाटन समारोह में ये लोग मंत्री या किसी प्रभावशाली हस्ती को ही आमंत्रित करते हैं और मुख्य अतिथि के श्रीमुख से बड़ी-बड़ी घोषणाएं करवाकर तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच अपने मुस्कुराते चहरे को कैमरे में कैद कराते हैं.
आज दहशत में जी रहे आभूषण कारोबारियों के लिए एक्जीविशन के आयोजनकर्ताओं का साथ मिलना जरूरी है. आभूषण कारोबारियों की अपेक्षा है कि उनकी सुरक्षा और जानमाल की रक्षा के लिए ऐसे आयोजक सत्ता तक के अपने बहुप्रचारित रसूख का इस्तेमाल कराकर मुकम्मल सुरक्षा कवच मुहैया करवाने में अपनी भूमिका निभाएंगे.
सच कहा जाए तो अपराधियों से भारी खौफ में जीवन गुजार कारोबार का संचालन करने वाले आभूषण कारोबारियों के लिए यह परीक्षा की घड़ी है. इसी में पता चल जाएगा कि कौन संकट के इस समय में साथ देने की पहल करता है और कौन आभूषण कारोबारियों से अगले सामूहिक शादी-विवाह के आयोजन या ज्वेलरी प्रदर्शनी तक दूरी बनाकर रहता है.
हकीकत की तस्वीर पर आभूषण कारोबारियों के साथ-साथ समाज की भी पूरी नजर है.