नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मेरठ में विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी एसईजेड को बनाने की कवायद तेज हो गई है. इसके निर्माण से आभूषण और रत्न उद्योग को वैश्विक बाजार मिलेगा . इस कारोबार को नई पहचान मिलेगी. हजारों लोगों को रोजगार मिलने का भी मार्ग प्रशस्त होगा.
बताया जाता है कि केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय मेरठ में एसईजेड का बुनियादी ढांचा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर विकसित करेगा. इसके लिए यूनाइटेड ज्वेलर्स एंड मेन्युफेक्चरर्स फेडरेशन ने काउंसिल फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च एंड डेवलपमेंट के साथ सलाहकार के रूप में समझौता किया है. इस एसईजेड के निर्माण के लिए मेरठ के परतापुर में करीब 24 एकड़ जमीन की तलाश की जा रही है.
एसईजेड इकाइयों को सोने पर शून्य आयात शुल्क का लाभ मिलता है, इसलिए वे सोने के आभूषणों के निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि करने में सक्षम हैं. संयुक्त अरब अमीरात, लैटिन अमेरिका, रूस, कनाडा आदि में सोने के आभूषणों की मांग अधिक है.
मेरठ में सोने के सादे आभूषण, हीरे जड़ित आभूषण, रत्न जड़ित आभूषण, और चांदी के आभूषण बड़े पैमाने पर बनते हैं.
शहर में 6 हजार से ज्यादा सराफा कारोबारी और 60 हजार से ज्यादा कारीगर हैं. यहां के हस्त निर्मित उत्कृष्ट आभूषणों की दुनियाभर में बड़ी मांग है.
एसईजेड बनने के बाद यहां सराफा कारोबारियों को मुंबई, सूरत और जयपुर की तर्ज पर सुविधाएं मिलेंगी. इससे घरेलू रत्न और आभूषण निर्माताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बाजार भी मिलेगा.
संयुक्त लघु उद्योग क्लस्टर्स विकास समिति के ज्वाइंट डायरेक्टर आशुतोष का कहना है किसोना, चांदी, रत्न, आभूषण और आर्टिफीशियल आभूषणों के लिए लाइव डिजाइनिंग के साथ नमूनाकरण की सुविधा होगी. अंतरराष्ट्रीय डिजाइनरों के साथ स्थानीय कारीगर कार्य करेंगे। एसईजेड में 200 से 250 इकाइयां होगी.
यूनाइटेड ज्वेलर्स एंड मेन्युफेक्चरर्स फेडरेशन के अध्यक्ष डॉक्टर संजीव अग्रवाल ने बताया कि एसईजेड का निर्माण के लिए 25 एकड़ भूमि की मांग की गई है. केंद्र सरकार, राज्य सरकार और एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) के द्वारा पीपीपी मॉडल के रूप में विस्तार किया जाएगा. पश्चिम उत्तर प्रदेश में सामान्य रूप से तीसरा निर्यात क्षेत्र होगा.
यूनाइटेड ज्वेलर्स एंड मेन्युफेक्चरर्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष कोमल वर्मा के अनुसार शहर में आभूषण शिल्प कौशल की समृद्ध परंपरा है.एसईजेड विकसित करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा है. हस्तशिल्प कारीगरों को भी इसका बड़ा लाभ मिलेगा।