कपिल देव ठाकुर
आभूषण. वह भी गाय के गोबर के. यह सुनकर चौक गए ना आप. आपका चौंकना स्वाभाविक है क्योंकि अभी तक हम लोग यही जानते हैं कि गाय के गोबर के उपले का ईधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. गैस बनाई जाती है. खाद बनाया जाता है. जलावन के रूप में काम आता है।
लेकिन अपने अभिनव प्रयोगों के लिए जाने जाने वाले बिहार के समस्तीपुर में गोबर से आभूषण बनाने का एक ऐसा प्रयोग सामने आया है जो हर किसी को हैरत में डाल दे रहा.
पहली बार इस बारे में सुनने पर हम भी आश्चर्य में पड़ गए कि वाकई ऐसा संभव है क्या?
लेकिन जब इस बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि हां असंभव सा लगने वाला या काम समस्तीपुर में संभव किया गया है और इसे करने वाली नारी शक्ति है.
दरअसल बिहार के समस्तीपुर जिले की रहने वाली महिला प्रेमलता ने गाय की उपयोगिता को प्रेरणा मानकर लोगों तक एक संदेश पहुंचाने का काम किया है. उन्होंने गाय के दूध से बनने वाले डेरी प्रोडक्ट से लेकर गोबर तक की उपयोगिता को आम लोगों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. प्रेमलता लगभग 30 वर्षों से अलग-अलग राज्यों व छोटे-छोटे गांव, कस्बों में जाकर वहां की महिलाओं और बेरोजगार लोगों को गोबर की उपयोगिता के बारे में बताती है. उस गोबर का उपयोग कर आभूषण बनाकर दिखाती हैं और लोगों को आत्मनिर्भर होने की ओर प्रेरित भी करती है.
प्रेमलता की आभूषण बनाने की यह कला बड़ी ही अद्भुत है उन्होंने इसके ज़रिए न केवल खुद को आत्मनिर्भर किया है बल्कि बिहार के अलग-अलग हिस्सों में जाकर वहां की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया है.
प्रेमलता में के बारे में जानकारी सामने आई है कि वह गोबर से सिर्फ आभूषण ही नहीं बनाती बल्कि दो हजार से ज्यादा उत्पादों का निर्माण करती हैं. इनमें कान की बाली, गले का हार, हाथ के चूड़ी, कंगन , घर में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं, पूजा हवन की जरूरत की चीजें, धूप, अगरबत्ती, घर को सजाने के लिए मूर्तियां, गोबर की ईटें, चप्पल ,घड़ियां ,खिलौने, हेयर क्लिप से लेकर कई सारे आइटम शामिल हैं.
खास बात हुई अभी यह सारे प्रोडक्ट पर्यावरण के नजरिए से ऑर्गेनिक और हाइजीनिक हैं इसीलिए दिनोंदिन लोगों में गोबर से बने आभूषणों को देखने और खरीदने की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है.