Sunday, January 19, 2025
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    झारखंड के रांची या जमशेदपुर मेें ज्लैलरी पार्क की स्थापना के लिए आगे बढ़े सरकार

    कपिलदेव ठाकुर

    रांची : झारखंड की राजधानी रांची या औद्योगिक राजधानी की पहचान रखनेवाले जमशेदपुर में ज्लैलरी पार्क की स्थापना की मांग पर अब राज्य सरकार के स्तर से त्वरित व ठोस कार्रवाई को आगे बढ़ाने का समय आ गया है.
    राज्य हित में यह मांग कई वर्षों से की जा रही है. इसके मजबूत कारण हैं भी. झारखंड में सोने-चांदी-हीरे का बड़ा कारोबार है, सोना तो यहां की धरती से निकलता भी है. साथ ही यहां का आभूषण कारोबार अपनी विश्वसनीयता के लिए भी खास तौर पर जाना जाता है.

    झारखंड के गांवों में आभूषण कला सदियों से जिंदा है. रामगढ़-हजारीबाग व देवघर समेत कई जिलों में ऐसे कई गांव हैं जहां स्वर्णकार समाज अपनी पुश्तैनी कला को आज भी तमाम विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए जिंदा रखे हुए है. आभूषण कला को पूजा की मानिंद पवित्र भाव से अपने जीवन का अंग बनाए हुए हैं ये स्वर्णकार परिवार.
    अब ऐसे परिवारों के आधुनिक समय के साथ कदमताल करने व कराने की आवश्यकता है. इसी के मद्देनजर रांची या जमशेदपुर में ज्वैलरी पार्क बनाने की मांग की जाती रही है.
    इस ज्वैलरी पार्क के बन जाने से झारखंड को कई फायदे होंगे. मसलन एक छत के नीचे ही होलसेल और रिटेल कारोबार आ जाएगा.
    डिजाइनिंग, निर्माण और हालमार्क सेंटर एक साथ होंगे. बहुमंजिला ज्वैलरी पार्क में दुकानों के साथ ऊपर हॉल बनाकर एक्जीबिशन या दूसरा उपयोग किया जा सकेगा. साथ ही कारीगरों और डिजाइनिंग के लिए अलग से दुकानें होंगी. आम ग्राहकों को भी एक छत के नीचे बड़ा बाजार मिलेगा. झारखंड में ज्वैलरी पार्क बनने से कारीगरों, रिफाइनरी, कटिंग और पॉलिसिंग का हब बनेगा. स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और राज्य सरकार को राजस्व भी मिलेगा.
    बड़ी बात यह कि झारखंड की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने व प्रांत को विकसित राज्य की श्रेणी में लाने में यह ज्वैलरी पार्क अहम भूमिका निभा सकता है. वैसे भी अपने देश में आभूषण उद्योग अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह सकल घरेलू उत्पाद का 7 प्रतिशत और व्यापारिक निर्यात का 14 प्रतिशत हिस्सा है और 5 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है. इसे वैश्विक बाजार में नया रूप देने की आवश्यकता है,
    अब कोरोना से हम उबर चुके हैं. अर्थ व्यवस्था पटरी पर लौट रही है. मुंबई, सूरत, कोलकाता के बाज रायपुर में ज्लैलरी पार्क निर्माण की दिशा में काम तेजी से आगे बढ़ा है. छत्तीसगढ़ का गठन भी नवंबर 2000 में हुआ था. झारखंड का भी गठन उसी समय हुआ था. इस नजरिए से भी हमें देखना चाहिए कि जब छत्तीसगढ़ ने इतनी बड़ी पहल कर दी है तो फिर झारखंड में ऐसा करने की शुरुआत करने में देर करने का कोई कारण है नहीं. और तो और चंद रोज पहले बिहार में भी वहां के उद्योग मंत्री ने अपने राज्य में ज्वैलरी पार्क बनाने की घोषणा की है. बिहार में हुई घोषणा को झारखंड में उत्प्रेरक बनाने के लिए हर जिम्मेदार लोग, संस्था व सरकार को अब बिना और देर किए अभी सार्थक भूमिका निभानी शुरू कर देनी चाहिए.

    (कपिलदेव ठाकुर सोनारसंसारडॉटइन के कार्यकारी संपादक हैं)

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