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Friday, December 6, 2024
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    स्वर्णकार समाज व कारोबार के सच्चे नगीना थे शशि भाई अडेसरा

    धर्मेंद्र कुमार
    कहते हैं कोई भी आंदोलन कुछ न कुछ देकर ही जाता है. सिर्फ लेकर तो कदापि नहीं जाता. सफल होता है तो सारा संसार उसके सामने होता है. विफल होता है तो भी आंदोलन से पाने को बहुत कुछ मिलता है. अनुभवों का पिटारा जो मिलता है. बात ठीक दस साल पहले की है. वर्ष 2012 के मार्च महीने में आभूषण कारोबार से जुड़े लोगों का आंदोलन स्वर्णकार समाज के लिए बहुत कुछ देकर गया. एक तरह से कहा जाए तो आज के सोनारसंसार डॉट इन नामक ई पत्रिका की बुनियाद उसी समय पड़ गई थी.


    और, इस आंदोलन के जरिए न्यू मीडिया को समाज-कारोबार से संवाद का प्रभावी माध्यम बनाने में जिन लोगों की अहम भूमिका रही उनमें जमशेदपुर -झारखंड के सबसे प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों में से एक छगनलाल दयालजी ज्वेलर्स के संचालक व जमशेदपुर ज्वेसर्स एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष शशि भाई अडेसरा का नाम अग्रणी पंक्तियों में लिखा जाएगा.


    आज हम शिद्दत से याद कर रहे शशि भाई अडेसरा को. जमशेदपुर ही नहीं, पूरे झारखंड में आभूषण कारोबार के सबसे विश्वसनीय परिवारों में से एक से ताल्लुक रखने वाले शशि भाई, छगनलाल दयालजी (ज्वेलर्स) ने कई दशक तक समाज व कारोबार जगत को नेतृत्व प्रदान किया था. वर्ष 2012 में हुए आंदोलन के दौरान इन्होंने एक अभिभावक के रूप में तन-मन-धन से काम किया था. हर स्तर और हर चरण में आंदोलन से जुड़े रहे. सड़क पर उतरने से लेकर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने तक में कंधे से कंधा मिलाकर सदस्यों का साथ दिया. यही नहीं, आंदोलन के दौरान झारखंड स्तर पर समन्वय समिति बनाई गई थी और उसके नेतृत्व का भार भी शशि भाई को ही सौंपा गया था.
    यह कहने में गर्व की अनुभूति हो रही कि इनके नेतृत्व में आंदोलन सफल रहा. सरकार को झुकना पड़ा था. आभूषण कारोबार के सिर पड़ी विजयीश्री की माला.


    लेकिन शशि भाई ने यहीं अपनी भूमिका को विराम नहीं दिया था बल्कि समाज हित में वे नई भूमिका में आए थे. आभूषण कारोबार जगत ही नहीं बल्कि स्वर्णकार समाज के हर सुख-दुख में शशि भाई की उपस्थिति देखी जा सकती थी. चोरों, अपराधियों के खौफ में पड़े आभूषण कारोबारियों की सुरक्षा के लिए प्रशासन के साथ बात करनी हो या स्वर्णकार समाज के सामाजिक विकास को लेकर हो रही कोई पहल. शशि भाई हमेशा आगे रहते थे.


    अब बात उनके व्यक्तित्व के नायाब पहलू की. तब जमशेदपुर और झारखंड ने शशि भाई के भीतर का एक नया व्यक्तित्व देखा था. वह था आध्यात्मिक व्यक्तित्व. इन्होंने लौहनगरी को आध्यात्म के महासागर में डुबकी लगाने का अवसर उपलब्ध कराया था.
    जमशेदपुर में अपने छगनलाल दयालजी परिवार के 100 साल पूरा होने को एक अवसर मानकर इन्होंने प्रख्यात संत रमेश भाई ओझा के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत कथा का रसपान जमशेदपुर वासियों को कराया था.


    संकेत साफ है कि सिर्फ स्वर्णकार समाज के ही नहीं बल्कि समग्र समाज की भलाई के लिए ताउम्र सक्रिय रहे शशि भाई अडेसरा.


    सोनारसंसार डॉट इन के तेवर-कलेवर व कंटेंट का तानाबाना हमने उसी दौरान बुना था. इसलिए अपने समाज व कारोबार की आवाज के रूप में इस ई पत्रिका की लांचिंग के काम को आगे बढ़ाते हम अपने शशिभाई को शिद्दत से याद करे रहे. उन्हें हमारी विनम्र श्रद्धांजलि.

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